दलमा के तराई में बढ़ा बाघों का खतरा
दलमा के तराई में बाघों का खतरा बढ़ने लगा है। कुचाई इलाके में बुधवार को कई मवेशियों पर बाघ के हमले के बाद लोग दहशत में हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो अर्से बाद यहां बाघ दिखा है। दलमा के तराई में...
दलमा के तराई में बाघों का खतरा बढ़ने लगा है। कुचाई इलाके में बुधवार को कई मवेशियों पर बाघ के हमले के बाद लोग दहशत में हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो अर्से बाद यहां बाघ दिखा है।
दलमा के तराई में रहने वाले ग्रामीणों के अनुसार 90 के दशक में कभी-कभार सेंदरा पर्व के दौरान बाघ दिखते थे। 1996 में आखिरी बार दलमा में बाघ दिखा था। इसके बाद बुधवार को कुचाई में बाघ दिखा।
बाघों के बसेरे के लिए दलमा अनुकूल नहीं
रांची वाइल्ड लाइफ के डीएफओ कमलेश पांडेय का कहना है कि दलमा पहाड़ी जंगल है। पहाड़ी जंगल में बाघ नहीं रह पाते हैं। वे समतल इलाके वाले जंगल में रहना पसंद करते हैं। दलमा के करीब ओडिशा के सिमरीपाल का जंगल हैं, जहां बाघ पाए जाते हैं। उस इलाके के बाघ रास्ता भटक कर दलमा के तराई वाले हिस्से में घूम रहे होंगे। झारखंड के लातेहार और चंपा के जंगल में बाघ हैं, पर वे इतने दूर भटक कर नहीं जा पाते हैं।