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कंपनी की पूंजी एक लाख, बैंकों ने दिए लाखों

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की कंपनी जोहार हेल्थ मेनटिनेंस आर्गेनाइजेशन की शेयर पूंजी एक लाख रुपए है, जबकि इसको बैंकों से सीएसआर के लिए 47.5 लाख रुपए मिल चुके हैं। इनमें से 14.93 लाख दिए जाने के...

कंपनी की पूंजी एक लाख, बैंकों ने दिए लाखों
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 12 Jun 2016 12:55 AM
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पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की कंपनी जोहार हेल्थ मेनटिनेंस आर्गेनाइजेशन की शेयर पूंजी एक लाख रुपए है, जबकि इसको बैंकों से सीएसआर के लिए 47.5 लाख रुपए मिल चुके हैं। इनमें से 14.93 लाख दिए जाने के दस्तावेज हमारे पास हैं।

यह कंपनी काम तो झारखंड और बिहार में करती है लेकिन राजस्थान का स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर सीएसआर के काम के लिए इसे पैसा देता है। ज्यादातर कार्पोरेट कंपनियां अपने सीएसआर फंड को अपने मुख्य कारोबारी इलाके में ही खर्च करती हैं। हालांकि ऐसा कोई नियम नहीं है, यह जानकार कहते हैं। लेकिन बैंक इस तरह का अनुदान जिन कंपनी या संस्था को देते हैं, उनके लिए कम से कम तीन साल पुराना होना जरूरी है। इसके विपरीत जब राशि दी गई, तब यह कंपनी सिर्फ पांच माह पुरानी थी। लिहाजा इस नियम को नई कंपनी के लिए अनदेखा करने की भी बात सामने आ रही है। इन्हीं कारणों से पूरे मामले में मंत्री पुत्र जयंत सिन्हा की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। कारण है कि वे मौजूदा केन्द्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री हैं और बैंकों का कामकाज भी उनके मंत्रालय के कार्य का हिस्सा है।

कंपनी की 2014-15 की ऑडिट रिपोर्ट मोइत्रा दुग्गल एंड एसोसिएट्स नामक कंपनी ने दो सितंबर, 2015 को दी। उसमें कुल पूंजी के नाम पर मात्र एक लाख रुपए ही दिखाए गए हैं। वहीं, मई 2015 में ही बैंक ऑफ इंडिया जोहार हेल्थ मेंटेनेंस ऑर्गेनाइजेशन को 32 लाख 50 हजार रुपए सीएसआर के तहत दे चुका था। इसी दौरान बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर ने भी जोहार को 14.93 लाख रुपए दिए। ऑडिट रिपोर्ट में एक लाख रुपए की शेयर पूंजी वाली कंपनी पर दो लाख 61 हजार रुपए की देनदारी दिखाई गई है।

हिन्दुस्तान की पड़ताल में यशवंत सिन्हा की इस कंपनी के बारे में कुछ और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जोहार हेल्थ मेंटेनेंस ऑर्गेनाइजेशन के एक कमरे का ऑफिस दिल्ली के ग्रेटर कैलाश जैसे पॉश इलाके में मात्र एक हजार रुपए प्रतिमाह के किराए पर है। कंपनी को यह कमरा उसी ऑडिट फर्म मोइत्रा दुग्गल एंड एसोसिएट्स ने दिया है, जो कंपनी के स्वतंत्र ऑडिटर के रूप में ऑडिट कर रिपोर्ट देती है। हिन्दुस्तान के पास इस रेंट एग्रीमेंट की प्रति भी उपलब्ध है।

रांची हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुनील महतो की ओर से ये दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं। महतो ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इसे यशवंत सिन्हा के पुत्र और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा के प्रभाव में आकर बैंकों की ओर से किया गया अवैध कृत्य बताया है। साथ ही इसके लिए जांच कर कार्रवाई की मांग की है।

निदेशक के पास हैं दो डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर
जोहार हेल्थ मेंटेनेंस ऑर्गेनाइजेशन के एक निदेशक और 23 फीसदी के शेयर होल्डर आमोद कंठ के पास दो डायरेक्टर आईडेंटिफिकेशन नंबर हैं। मोइत्रा दुग्गल एंड एसोसिएट्स की ओर से दी गई ऑडिट रिपोर्ट पर उन्होंने जोहार के प्रतिनिधि के रूप में किए हस्ताक्षर के नीचे अपना डिन नंबर 02173304 लिखा है। जबकि दो नवंबर, 2014 को कंपनी रजिस्ट्रार को जोहार हेल्थ एंड मेंटेनेंस ऑर्गेनाइजेशन के नाम अनुमोदन के लिए दिए स्पष्टीकरण में उन्होंने अपना डिन नंबर 02160631 बताया है।

यह गलत है विशेषज्ञ
कंपनी कानून के जानकारों की राय में यह गैरकानूनी है। इनकम टैक्स लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे शिव कुमार पोद्दार कहते हैं कि कंपनी कानून के तहत एक व्यक्ति का हर कंपनी में डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर एक ही रहेगा। अगर कोई व्यक्ति दो डिन नंबर देता है तो यह पहचान छुपाने का मामला है। यह कानून का उल्लंघन भी है।

प्रयास को कौशल विकास में झारखंड से मिले 71 लाख
जोहार हेल्थ मेंटेनेंस ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक आमोद कंठ को बिहार-झारखंड में कौशल विकास के लिए उनकी स्वयं सेवी संस्था प्रयास को स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना के तहत 71 लाख 56 हजार रुपए 2011-12 में मिले हैं।

जोहार हेल्थ मेंटेनेंस ऑर्गेनाइजेशन के प्रमोटर और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा पर हजारीबाग जिले में गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले लोगों की सूची में अपना नाम डलवाने के आरोप लगे थे। हालांकि, यशवंत सिन्हा ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए खुद को इससे अनजान बताया था।

क्या कहते हैं कंपनी के निदेशक आमोद कंठ

सवाल: दो डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर रखने जैसा गैरकानूनी काम आप क्यों करते हैं?
जवाब: यह मेरी जानकारी में नहीं था। मेरे कंपनी सेक्रेटरी ने बताया कि एक नंबर बहुत पहले जारी हुआ था। दूसरा नंबर बाद में जारी हुआ। लेकिन इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। मैं आपको बता दूं कि मैं जिन कंपनियों में भी हूं, वे नॉन प्रॉफिट कंपनियां हैं। मैं वहां से कुछ भी नहीं लेता हूं।

सवाल: ग्रेटर कैलाश जैसे पॉश इलाके में एक हजार रुपए प्रति माह के किराए पर आपको ऑफिस के लिए कमरा कैसे मिल गया?
जवाब: भगवान के लिए इस पर मत जाइए। ये देखिए, मैं काम क्या कर रहा हूं। ऑफिस केवल बोर्ड टांगने के लिए होता है। काम की फील्ड विस्तृत होती है।

सवाल: यह मेरे सवाल का जवाब नहीं है?
जवाब: देखिए, परिचित लोगों से ऑडिट फर्म में एक कमरा मिल गया। काम तो हजारीबाग में हो रहा है। वहां एक रिटायर्ड आर्मी मैन मि. विश्वकर्मा इसे देख रहे हैं।

कंपनी के पार्टनर्स का एक परिचय-
यशवंत सिन्हा- पूर्व वित्त मंत्री भारत सरकार और वर्तमान वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के पिता इनकी हिस्सेदारी इस कंपनी में 76 फीसदी की है।

आमोद कंठ – पूर्व कमिश्नर दिल्ली, कंपनी में हिस्सेदारी 23 फीसदी है।

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