'गैंग्स ऑफ वासेपुर' फिल्म क्या बनीं, google पर बदनाम हुआ ये गांव...
निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के बाद देश के सबसे तेज सर्च इंजन ‘गूगल’ की डिक्शनरी में वासेपुर का नाम ही बदल गया। गूगल अनुवाद में हिंदी में वासेपुर लिखकर इसका...
निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के बाद देश के सबसे तेज सर्च इंजन ‘गूगल’ की डिक्शनरी में वासेपुर का नाम ही बदल गया। गूगल अनुवाद में हिंदी में वासेपुर लिखकर इसका अंग्रेजी अनुवाद ढूढ़ने पर ‘गैंग्स’ बताया जाता है। गूगल के शब्दकोष से वासेपुर में रहने वाले लोग व्यथित हैं।
तो इसलिए गैंग्स ऑफ वासेपुर की बनी थी सीक्वल
2012 में गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म रिलीज हुई थी। फिल्म के रिलीज होते ही पूरे भारत के फलक में वासेपुर की जो तस्वीर उभर कर सामने आई, उसे गूगल के अर्थ ने पक्का कर दिया। इस फिल्म के बाद पूरे देश का ध्यान वासेपुर पर आकृष्ट हो गया। धनबाद आने वाले क्रिकेटर हरभजन सिंह ने वासेपुर देखने की इच्छा जताकर इस बात की पुष्टि कर दी थी। फिल्म को इतनी प्रसिद्धि मिली थी कि अनुराग कश्यप ने इसका सिक्वेल भी बनाया था।
वासे साहब के नाम पर पड़ा था वासेपुर का नाम
वासेपुर के लोगों का कहना है कि 1956 में बिहार के मशहूर बिल्डर एमए वासे साहब ने धनबाद के इस हिस्से में जंगल को कटवाकर एक मोहल्ला बनवाया था। बाद में इस मोहल्ले का नाम वासेपुर पड़ गया। बताते हैं कि उस समय इस मोहल्ले में करीब डेढ़ सौ लोग रहते थे। आज वासेपुर की आबादी बढ़कर करीब डेढ़ लाख से अधिक हो चुकी है।
वासेपुर में गैंगवार का रहा है इतिहास
वासेपुर का इतिहास गैंगवार का रहा है। फहीम के पिता सफी खान के समय से जो गैंगवार शुरू हुआ है वह आज भी जारी है। फहीम और साबिर की अदावत आज भी ठंडी नहीं पड़ी है। साल दर साल यह जंग और गहराती गई। कभी वासेपुर और नया बाजार के बीच खूनी संघर्ष छिड़ा था। आज वासेपुर में ही कई गुट तैयार हो गए हैं, जो एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं।
गूगल को वासेपुर के अर्थ में लाना होगा बदलाव
वहीं, इस बारे में वासेपुर के शिक्षाविद परवेज खान ने कहा कि गूगल की सूचनाओं पर आज हर कोई विश्वास करता है। इतने प्रतिष्ठित वेब पोर्टल पर अपने मोहल्ले का ऐसा अशोभनीय अर्थ दु:खी करने वाला है। यह वासेपुर के हर नागरिक के लिए बदनुमा दाग है। गूगल को अपने शब्दकोष में बदलाव करना चाहिए।