तो इन कारणों की वजह से स्कूल बसें होती हैं हादसों का शिकार
उत्तर प्रदेश के एटा जिले में गुरुवार को हुई बस दुर्घटना में पंद्रह स्कूली बच्चों की मौत हो गई। अपने शहर में भी स्कूली बच्चों के साथ इक्का-दुक्का हादसे होते रहते हैं। इसके बावजूद जमशेदपुर के निजी...
उत्तर प्रदेश के एटा जिले में गुरुवार को हुई बस दुर्घटना में पंद्रह स्कूली बच्चों की मौत हो गई। अपने शहर में भी स्कूली बच्चों के साथ इक्का-दुक्का हादसे होते रहते हैं। इसके बावजूद जमशेदपुर के निजी स्कूल प्रबंधन सबक लेने के लिए तैयार नहीं हैं।
अधिकतर निजी स्कूलों के पास अपने वाहन नहीं हैं। इसके चलते लोग अपने बच्चों को किराये के टेंपो और बसों में स्कूल भेजते हैं। ये टेंपो और बस वाले भी लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए वाहनों में क्षमता से कहीं अधिक बच्चों को भरते हैं। साथ ही जिन स्कूलों के पास अपने वाहन हैं, वे भी नियमों का पूरी तरह पालन नहीं करते। ऐसे में आपके प्रिय समाचार पत्र हिन्दुस्तान ने गुरुवार को शहर के स्कूली वाहनों की पड़ताल की। इनमें कई खामियां मिलीं।
ओवरलोडिंग सबसे बड़ी समस्या
शहर के अधिकतर स्कूली वाहन ओवरलोडिंग में चलते हैं। जिला प्रशासन द्वारा तय किए गए नियमों के अनुसार वैन में आठ विद्यार्थी और टेम्पो के लिए छह विद्यार्थियों का नियम तय किया था, पर इस नियम का पालन नहीं होता। टेम्पो और वैन में स्कूली विद्यार्थियों को ठूंस-ठूंसकर ले जाया जाता है। इससे आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
थोड़े दिनों की चुस्ती, फिर सुस्ती
दुर्घटना होने पर स्कूली वाहनों को नियमों से बांधने के लिए पुलिस और परिवहन विभाग कुछ दिनों के लिए जांच अभियान चलाते हैं। कुछ नियम भी बनाए जाते हैं, पर लगातार अभियान न चलने से स्थिति फिर ढाक के तीन पात वाली हो जाती है।
पड़ताल में सामने आईं ये खामियां
-ओवरलोडिंग
-अत्यधिक पुराने वाहनों का इस्तेमाल
-वैन में सभी ओर जाली का न होना
-टेम्पो में दोनों तरफ सुरक्षा रॉड की कमी
-प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स का न होना
-कम उम्र और ट्रेंड चालकों की कमी
-स्कूल वैन के ड्राइवरों का निर्धारित ड्रेस में न होना
-सभी स्कूली वाहनों पर चालक का नाम व मोबाइल नंबर अंकित न होना
-तेज गति से गाड़ी चलाना
सुप्रीमकोर्ट का स्कूली वाहनों के लिए दिशा-निर्देश
-स्कूल बस या वाहन में स्पीड गवर्नर होना अनिवार्य है
-स्कूल बस या वाहन हमेशा मेंटेन रखे जाएं। स्कूल प्रबंधन इसका ख्याल रखें
-बस पर स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए
-बस के आगे-पीछे स्कूल बस लिखा होना चाहिए
-स्कूली बस या वाहन पर ग्रिल जरूरी है
-बस या स्कूली वाहन में फर्स्ट-एड बॉक्स होना चाहिए
-बस या अन्य स्कूली वाहन पर स्कूल का नाम और फोन नंबर लिखा हो
-बस में स्कूल का एक सहायक भी मौजूद हो
-स्कूल बस की फिटनेस जांच हर हाल में होनी चाहिए