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कतार हुई छोटी, नहीं मिली राहत

नोटबंदी के रविवार को दो महीने पूरे हो गए लेकिन लोगों को खास राहत नहीं मिली है। फर्क सिर्फ इतना आया है कि पहले लोग एटीएम और बैंकों के आगे लंबी-लंबी लाइन लगाते थे, लेकिन अब हालात से समझौता करना सीख...

कतार हुई छोटी, नहीं मिली राहत
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 09 Jan 2017 11:32 AM
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नोटबंदी के रविवार को दो महीने पूरे हो गए लेकिन लोगों को खास राहत नहीं मिली है। फर्क सिर्फ इतना आया है कि पहले लोग एटीएम और बैंकों के आगे लंबी-लंबी लाइन लगाते थे, लेकिन अब हालात से समझौता करना सीख लिया है।

राशन छोड़कर अन्य वस्तुओं की खरीदारी लोग बहुत जरूरत पड़ने पर ही कर रहे हैं।

दो हजार के नोट बन गए समस्या

गांवों के एटीएम अब भी खाली हैं। शहरी इलाकों में एटीएम से नोट मिल भी रहे हैं तो केवल दो हजार के, जिसका खुदरा कराना बड़ी समस्या है। ऐसे में लोग पूरी लिस्ट बनाकर ही घर से निकल रहे हैं, ताकि दो हजार के नोट देने पर कम से कम हजार-पंद्रह सौ की खरीदारी एक जगह से करें और दुकानदार को खुदरा की समस्या न हो।

टुसू सिर पर, बैंकों में नोट नहीं

हालत ये है कि 10 दिसंबर के बाद से अब तक नोटों की बड़ी खेप रिजर्व बैंक से शहर में नहीं आई है। इसके चलते बैंकों के पास भी न तो सौ और पांच सौ के नोट हैं और न ही वे ग्राहकों को जरूरत के अनुसार रुपये उपलब्ध करा पा रहे हैं। इसके चलते पूरे बाजार में मंदी का माहौल है।

80 फीसदी गिरा बाजार

राशन की वस्तुओं को छोड़कर बाकी का बाजार लगभग अस्सी प्रतिशत गिर चुका है। टुसू और मकर संक्रांति सिर पर हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों से सटे मानगो समेत अन्य बाजारों की रौनक गायब है। दुकानदार सिर पर हाथ रखकर बैठे हैं।

जरूरत से काफी कम पैसे मिले

जमशेदपुर के बैंकों को नोटबंदी के बाद से रिजर्व बैंक से 24 सौ करोड़ रुपये से ज्यादा के सौ, पांच सौ, पचास, बीस और दस रुपये के नोट मिले हैं। करीब पचास करोड़ रुपये के सिक्के भी मिले हैं। लेकिन, यह जरूरत से काफी कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि केवल वेतन और पेंशन मद में ही हर महीने करीब 1250 करोड़ रुपयों के जरूरत शहर के बैंकों को पड़ती है। इसके अलावा कंपनियों और ठेकेदारों की जरूरत अलग है।

19 सौ करोड़ के पुराने नोट जमा

नोटबंदी के बाद एक हजार और पांच सौ के पुराने नोट करीब 19 सौ करोड़ रुपये के जमा हुए। इनमें से रिजर्व बैंक को तेरह सौ करोड़ के पुराने नोट भेज भी दिए गए हैं। बैंको के पास अब भी करीब 14 सौ करोड़ के पुराने नोट रिजर्व बैंक में भेजने के लिए रखे गए हैं। इनमें से बैंकों के पास पहले से मौजूद अपने पुराने नोट भी हैं।

37 सौ नई कार्ड स्वाइप मशीनें

नोटबंदी से पहले शहर के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में लगभग चौदह सौ कार्ड स्वाइप मशीनें थीं। नोटबंदी के बाद पिछले दो महीनों में 37 सौ और स्वाइप मशीनें दुकानों में लग चुकी हैं। इसके बावजूद दुकानों में पहले जैसी रौनक नहीं लौटी है। इसका कारण ये है कि लोग डर के मारे चुनिंदा वस्तुओं की ही खरीदारी कर रहे हैं।

सभी एटीएम कभी नहीं हुए फुल

नगदी की किल्लत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूर्वी सिंहभूम जिले के करीब 234 एटीएम में कभी भी एक साथ नोट नहीं भरे गए और न ही लोगों को नोट मिले। अधिकतर एटीएम बंद ही रहते हैं।

कहां जा रहे नए नोट?

नोटों की किल्लत दूर करने के लिए बैंकों ने शिविर लगाकर सिक्के और 10 तथा 20 के नोट बांटे। 14 करोड़ रुपये के पांच सौ के नोट और करीब 582 करोड़ रुपये के सौ के नोट खप गये। ऐसे में ये नोट कहां जा रहे हैं, ये बैंक अधिकारियों को भी समझ में नहीं आ रहा है क्योंकि न तो दुकानदारों के पास पर्याप्त मात्रा में खुदरा है और न ही बैंकों के पास।

30 से नहीं जमा हो रहे पुराने नोट

24 नवम्बर से बैंकों में नोट बदलने और 30 दिसम्बर से जमा होने बंद हो गए। रेलवे में भी इसी तरह 24 नवंबर को एक हजार और 30 दिसंबर से पांच सौ के पुराने नोटों पर रोक लग गई।

दो हजार करोड़ रुपयों की तत्काल जरूरत

शहर में अभी दो हजार करोड़ रुपये के सौ और पांच सौ के नोटों की तत्काल जरूरत है। पिछले महीने पांच सौ करोड़ के नोट मांगने पर बैंकों को रिजर्व बैंक से केवल 59 करोड़ रुपये मिले।

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