साहित्य में सत्य होना अनिवार्य : भगीरथ
साहित्य में सत्य होना चाहिए। असत्य के सहारे साहित्य जिंदा नहीं रह सकती। यह बातें कोलकाता के बांग्ला साहित्यकार भगीरथ मिश्र ने रविवार को निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के 61वें वार्षिक अधिवेशन में...
साहित्य में सत्य होना चाहिए। असत्य के सहारे साहित्य जिंदा नहीं रह सकती। यह बातें कोलकाता के बांग्ला साहित्यकार भगीरथ मिश्र ने रविवार को निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के 61वें वार्षिक अधिवेशन में कहीं।
सोनारी कम्यूनिटी सेंटर में सामुदायिक सेंटर में ‘जागरण में साहित्य अधिवेशन में वरिष्ठ लेखक भगीरथ मिश्र ने कहा कि साहित्य के लिए ईमानदार प्रयास होनी चाहिए। कुछ लोगों के जरिए रिझाने के लिए स्तरहीन साहित्य सृजन अच्छे लक्षण नहीं हैं।
साहित्य में जागरूकता
मुख्य वक्ता शिक्षाविद डॉ. काजल सेन ने कहा कि बांग्ला साहित्य में जागरुकता आई है। 1970 के दशक के बाद बंग साहित्य क्रांतिकारी बदलाव आया है। सम्मेलन के महासचिव जयंत घोष, सुभाष सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष शेखर डे, समाजसेवी सुदिप्तो मुखर्जी ने विचार रखे। संचालन निसार सर्फुद्दीन और शर्मिला पाल ने किया। मौके पर बासवी गोस्वामी, शुक्ला रायचौधरी, पूरबी घोष, प्रशांत बनर्जी आदि मौजूद थे।
इनका हुआ सम्मान
समाजसेवी स्तोता दास गुप्ता की ओर से दिवंगत भाई प्रसेनजीत सेन को समर्पित कविता सत्र में 12 बंग साहित्यकारों का सम्मान हुआ। प्रभनाथ मित्र, निसार सर्फुद्दीन, डॉ. मनोज पाठक, बेबी साव, नीता बिश्वास, शर्मिला पॉल, डॉ. मीना मुखोपाध्याय, सोमनाथ नंदी, डॉ. तपन मंडल, अरुण कुमार बिश्वास, सुनील चंदा एवं पूरबी चटर्जी को स्मृति चिन्ह और स्मार पत्र दिया गया।
सांस्कृतिक अनुष्ठान
सांस्कृतिक अनुष्ठान में झरना कर की ‘ओई उज्जल दिन शीर्षक गीती आलेख ने सबका ध्यान खींचा। जिसमें ताप्ती दत्ता, गौरी दासगुप्ता, सिद्धार्थ सेन, सुकमल घोष, अदिति सेनगुप्ता, झरना कर ने भाग लिया। संगीत में सरोज सेन और श्यामल मित्र ने संगत किया।