जमशेदपुर में होगा टंगस्टन का उत्पादन, भारत में बनेंगे पूर्णत: स्वदेशी हथियार
डिफेंस मटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी (डीएमआरएल), हैदराबाद के निदेशक डॉ. समीर वी कामत ने बताया भारत प्रतिवर्ष करीब 1500 मीट्रिक टन टंगस्टन चीन से आयात करता है। इसका उपयोग सेना के अस्त्र-शस्त्र और एयरो इंजन...
डिफेंस मटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी (डीएमआरएल), हैदराबाद के निदेशक डॉ. समीर वी कामत ने बताया भारत प्रतिवर्ष करीब 1500 मीट्रिक टन टंगस्टन चीन से आयात करता है। इसका उपयोग सेना के अस्त्र-शस्त्र और एयरो इंजन बनाने समेत अन्य औद्योगिक निर्माण में होता है। उन्होंने कहा कि सेना के अस्त्र-शस्त्र भारत में ही बनते हैं, लेकिन रॉ मैटेरियल बाहर से मंगाए जाने के कारण ये पूर्णत: स्वदेशी नहीं कहला सकते। लेकिन, अब भारत में ही पूर्णत: स्वदेशी हथियार बनाए जाएंगे। इसलिए अब रॉ मटेरियल्स का उत्पादन भारत में ही शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए जमशेदपुर नेशनल मेटलर्जिकल लेबोरेटरी (एनएमएल) में देश का पहला ‘टंगस्टन एक्सट्रैकशन पायलट प्लांट शुरू किया गया है। अब हमें चीन पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
इस अवसर पर सीएसआईआर-एनएमएल के निदेशक डॉ. आई चट्टोराज ने बताया कि सीएसआईआर-एनएमएल पहले ही टंगस्टन कार्बाइड स्क्रैप रिसाइकलिंग तकनीकी को विकसित व कमर्शियालाइज कर चुका है। इसलिए इस प्रोजेक्ट के लिए देश में पहली बार सीएसआईआर-एनएमएल, नीलडीह में यह प्लांट शुरू किया गया है।
पीले टंगस्टन पाउडर के उत्पादन में भी एनएमएल की यह तकनीक काम आएगी। डॉ. समीर वी कामत ने बताया कि अब तक भारत में टंगस्टन निष्कर्षण की जो तकनीक है उससे मात्र 0.02 प्रतिशत ही टंगस्टन प्राप्त हो पाता है। जमशेदपुर में शुरू किए इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य अधिक से अधिक टंगस्टन निष्कर्षण करना है। यह प्रोजेक्ट तीन साल में पूरा किया जाएगा। इसके बाद देश में टंगस्टन उत्पादन के बड़े प्लांट खोले जाएंगे।
चीन से बिगड़ते संबंध को देखते हुए लिए गया फैसला : डॉ. कामत ने बताया कि चीन से बिगड़ते हालत को देखते हुए सेना के अस्त्र-शस्त्र तैयार करने व देश के रक्षा तंत्र को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए रॉ मैटेरियल का उत्पादन भारत में ही करने का निर्णय लिया गया है। इसलिए पूर्णत: स्वदेशी अस्त्र-शस्त्र बनाने के लिए अब टंगस्टन का उत्पादन भारत में ही होगा। डॉ. समीर ने बताया कि सैन्य हथियारों की मारक क्षमता को और अधिक बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किया जा रहा है। जिसके तहत अधिक वेग के हथियार, स्वयं आकर बदलनेवाली धातु के हथियार, नहीं टूटने और तापमान के अनरूप ढलनेवाले धातु से एयरग्राफ व वायु हथियार बनाने की दिशा में तेजी से रिसर्च किया जा रहा है।