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बंदगांव में नोटबंदी के बाद औने-पौने दाम में उत्पाद बेच रहे व्यापारी

पोड़ाहाट जंगल के बीहड़ में बसे घोर नक्सल प्रभावित बंदगांव प्रखंड का बाजार साप्ताहिक हाट पर ही निर्भर करता है। इस प्रखंड में लगभग सप्ताह के सभी दिन हाट-बाजार लगते हैं। सातों दिन लगता है बाजार :...

बंदगांव में नोटबंदी के बाद औने-पौने दाम में उत्पाद बेच रहे व्यापारी
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 15 Dec 2016 09:31 PM
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पोड़ाहाट जंगल के बीहड़ में बसे घोर नक्सल प्रभावित बंदगांव प्रखंड का बाजार साप्ताहिक हाट पर ही निर्भर करता है। इस प्रखंड में लगभग सप्ताह के सभी दिन हाट-बाजार लगते हैं।

सातों दिन लगता है बाजार : बंदगांव प्रखंड के बंदगांव में बुधवार व रविवार, चाकी में शनिवार, टेबो में सोमवार, नकटी में मंगलवार व शुक्रवार को कराईकेला में बाजार लगता है। बंदगांव, टेबो व चाकी में लगने वाले बाजार में वनोउत्पादन सामग्री की खरीद बिक्री होती है। लेकिन, नोटबंदी के कारण इनकी खरीद-बिक्री पर काफी प्रभाव पड़ा है। इस बाजार में लाह, तसर के कुकुन, पपिता, अमरूद सहित अन्य वन्य उत्पादन सामग्री ग्रामीण बिक्री के लिए लाते हैं। इन बाजारों में रांची, खूंटी, मुरहू, चक्रधरपुर के व्यापारी खरीदारी करने आते हैं। परंतु नोटबंदी के बाद ग्रामीण अपनी सामग्री लेकर बेंचने आते हैं, लेकिन खरीदार कोई नहीं है। जो भी खरीदार है वह औने-पौने दाम में खरीद रहा है।

पूरे प्रखंड में है एक एटीएम, वह भी खराब : पूरे बंदगांव प्रखंड में बैंक ऑफ इंडिया की तीन शाखाएं हैं। जिसमें एक बंदगांव, दूसरा टेबो और तीसरा कराईकेला में है। सिर्फ कराईकेला शाखा में ही एटीएम लगा है। लेकिन, नोटबंदी से पहले से ही एटीएम बंद है। वहीं, बैंकों में भी राशि उपलब्ध नहीं होने के कारण सप्ताह में दो-तीन दिन ही ग्राहकों को रुपये मिल पाते हैं।

क्षेत्र में ग्रहण लग गया है : बंदगांव के चरण मुंडरी ने कहा कि पहले साप्ताहिक हाट में लाह की बिक्री होती थी। जिससे क्षेत्र में खुशहाली थी। लेकिन, नोटबंदी के बाद से वन उत्पादन सामग्री की बिक्री ठप हो गई है और क्षेत्र में धीरे-धीरे ग्रहण लग रहा है। टेबो साप्ताहिक हाट में कपड़ा दुकान लगाने वाले कपड़ा व्यापारी मो. इरफान ने कहा कि घूमघूम कर साप्ताहिक हाट-बाजार में दुकान लगते हैं। लेकिन, नोटबंदी के बाद साप्ताहिक बाजार में बिक्री नहीं हो रही है। पहले दिसंबर में क्रिसमस में जमकर बिक्री होती थी। लेकिन, नोटबंदी के कारण बिक्री ठप है।

टेढी खीर है बंदगांव प्रखंड को कैशलेस बनाना : घोर नक्सल प्रभावित बंदगांव प्रखंड की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि सैकड़ों गांव में अब तक बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य सहित अन्य मौलिक सुविधा भी नहीं पहुंची है। प्रखंड के सैकड़ों गांवों में मोबाइल व फोन की सुविधा नहीं है। यही नहीं कई थानों में फोन भी नहीं लगते। अगर पुलिसकर्मी व सुरक्षा बलों को फोन करना होता है तो चिह्नित स्थानों की छत पर जाकर फोन करना पड़ता है। इंटरनेट के बारे में सोचना यहां के लोगों के लिए किसी सपने से कम नहीं है। ऐसी स्थिति में कैशलेस की बात लोगों के लिए छलवा के समान है। वहीं, साप्ताहिक हाट में आनेवाले ग्रामीणों को कैश को छोड़ कर दूसरे किसी से खरीदारी करने को तैयार नहीं है। ग्रामीणों को स्थानीय भाषा छोड़कर दूसरी भाषा भी नहीं आती है।

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