पूर्वी सिंहभूम के 268 गांवों पर मलेरिया का खतरा
डेंगू के बाद मलेरिया ने भी पूर्वी सिंहभूम जिले को 268 गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है। इसके चलते आए दिन मलेरिया के संदिग्ध मरीज सामने आ रहे हैं। लेकिन, इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की...
डेंगू के बाद मलेरिया ने भी पूर्वी सिंहभूम जिले को 268 गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है। इसके चलते आए दिन मलेरिया के संदिग्ध मरीज सामने आ रहे हैं। लेकिन, इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां न के बराबर हैं।
मलेरिया की रोकथाम के लिए साल 2016 में अब तक करीब दो करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इस वर्ष अब तक जिले में मलेरिया के करीब चार हजार संदिग्ध मरीज सामने आ चुके हैं। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में अब तक मलेरिया से चार लोगों की मौत भी हो चुकी है।
ये हैं मलेरिया प्रभावित क्षेत्र
वैसे तो इस वर्ष स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले के 268 गांवों को मलेरिया के लिए चिह्नित किया गया है, पर मुसाबनी, डुमरिया और पटमदा को मलेरिया से अति प्रभावित क्षेत्र (मलेरिया प्रोन जोन) घोषित किया गया है। इससे पूर्व डेंगू पर भुइयांडीह, बागबेड़ा, मानगो और सोमायझोपड़ी को डेंजर जोन घोषित किया गया था।
76 हजार मच्छरदानियां बंटेंगी
स्वास्थ्य विभाग की ओर से मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए इस वर्ष 76 हजार मेडिकेटेड मच्छरदानियां बांटने का लक्ष्य रखा गया है। उक्त सभी मच्छरदानियां जिला स्वास्थ्य विभाग को मिली हैं। सिविल सर्जन डॉ. एसके झा ने बताया कि 268 गांवों में 76 हजार मेडिकेटेड मच्छरदानियां बांटी जानी हैं। इनमें से करीब 25 हजार मच्छरदानियों का वितरण हो चुका है। मेडिकेटेड मच्छरदानियों के धागे में एंटी लार्वा का लेप होता है। इससे इस मच्छरदानी के संपर्क में आते ही मच्छर मर जाते हैं।