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एनएसजी सदस्यता के लिए भारत को रियायत नहीं, स्विट्जरलैंड मुकरा, ब्राजील ने चौंकाया

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह ने शुक्रवार का सोल में समाप्त हुई दो दिवसीय वार्षिक बैठक के बाद साफ संकेत दिया है कि भारत की सदस्यता के लिए नियमों में छूट नहीं दी जाएगी। समूह ने बैठक के बाद जारी बयान में...

एनएसजी सदस्यता के लिए भारत को रियायत नहीं, स्विट्जरलैंड मुकरा, ब्राजील ने चौंकाया
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Jun 2016 10:01 PM
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परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह ने शुक्रवार का सोल में समाप्त हुई दो दिवसीय वार्षिक बैठक के बाद साफ संकेत दिया है कि भारत की सदस्यता के लिए नियमों में छूट नहीं दी जाएगी। समूह ने बैठक के बाद जारी बयान में कहा कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था की धुरी है और वह इसके पूर्ण और प्रभावी क्रियान्वयन का समर्थन करता है। हालांकि, गैर एनपीटी देशों की भागीदारी पर विचार करना जारी रखेगा। 

बयान में पुष्टि की गई कि बैठक के दौरान भारत के साथ असैन्य परमाणु सहयोग संबंधी बयान 2008 के सभी पहलुओं पर सूचना साझा किया गया। साथ ही भारत के साथ एनएसजी के रिश्तों पर विचार विमर्श किया। लेकिन बैठक में शिरकत करने वाली सरकारों ने एनपीटी को अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था की धुरी बताते हुए इसके पूर्ण और प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया। वहीं, चीन और कई देशों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वह एनपीटी का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है। हालांकि, समूह ने गैर एनपीटी देशों की भागीदारी के सभी तकनीकी, कानूनी और राजनीतिक पहलुओं पर विचार विमर्श किया और इस चर्चा को जारी रखने का फैसला किया गया। 

दक्षिण कोरिया ने की अध्यक्षता 
दक्षिण कोरिया के राजदूत सोंग युंग वान ने एनएसजी की समापन बैठक की अध्यक्षता की। इसमें भाग लेने वाली सरकारों ने सभी देशों से एनएसजी के काम और उद्देश्य से संबंधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए चौकसी बरतने का आह्वान किया। 

स्विट्जरलैंड मुकरा, ब्राजील ने चौंकाया
इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की थी कि वह एनएसजी में भारत का समर्थन करेगा। लेकिन सोल में समूह की हुई बैठक में वह अपने रुख से पलट गया और भारत का विरोध करने वालों में शामिल रहा। वहीं ब्राजील अब तक इस मामले में सकारात्मक रुख अपनाने का संकेत दे रहा था। लेकिन बैठक में वह एकदम से चीनी खेमे में खड़ा नजर आया, जबकि वह ब्रिक का सदस्य है।

स्विट्जरलैंड अगला मेजबान 
एनएसजी बैठक में फैसला किया गया कि वर्ष 2017 से 2018 के लिए समूह की कमान स्विट्जरलैंड के हाथों में रहेगी। वह अगली बैठक की मेजबानी करेगा। 

भारत ने चीन को ठहराया दोषी 
एनएसजी में भारत की सदस्यता नहीं मिलने पर नई दिल्ली ने निराशा जताई है। साथ ही चीन का नाम लिए बिना कहा कि भारत के आवेदन पर चर्चा के दौरान एक देश ने लगातार प्रक्रियागत बाधाएं उत्पन्न की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने शुक्रवार को कहा कि एनएसजी में भारत की भागीदारी से परमाणु अप्रसार संधि को और मजबूती मिलती और पूरी दुनिया में परमाणु व्यवसाय ज्यादा सुरक्षित बनता। उन्होंने कहा, हम समझते हैं कि एक देश द्वारा लगातार प्रक्रियागत बाधा उत्पन्न करने के बावजूद एनएसजी में भविष्य में भागीदारी को लेकर गुरुवार रात तीन घंटे तक चर्चा हुई।

स्वरूप ने कहा, सोल में हुई एनएसजी की बैठक में भारत को तुंरत सदस्यता देने से इनकार कर दिया गया। लेकिन साथ ही कहा गया कि गैर एनपीटी देशों के साथ भागीदारी के मुद्दे पर चर्चा जारी रहेगी। उन्होंने कहा, काफी संख्या में सदस्य देशों ने भारत की सदस्यता का समर्थन किया है और भारत के आवेदन पर सकारात्मक जवाब दिया। हम उन सबको को धन्यवाद देते हैं। हम यह भी मानते हैं कि व्यापक समझ यह बनी कि मामले को आगे ले जाया जाए।

चीन ने अपने फैसले का किया बचाव 
एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध करने के फैसले का चीन ने बचाव किया है। चीन ने कहा कि उसका रुख  48 देशों के समूह के नियमों के अनुसार है, जो किसी विशेष देश के खिलाफ नहीं हैं। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, चीन दो चीजें चाहता है, हमें एनएसजी के नियमों का पालन करना चाहिए क्योंकि इस तरह के नियम किसी विशेष देश के खिलाफ नहीं है। हमें सामान्य से हटकर सोचकर आमसहमति के लिए मेहनत करनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि एनएसजी की बैठक में चीन ने रचनात्मक तरीके से गैर एनपीटी राष्ट्रों के प्रवेश को लेकर आगे बढ़ने के लिए कुछ अन्य देशों के साथ मिलकर काम किया।  हुआ ने कहा कि भारत और अन्य गैर एनपीटी देशों का प्रवेश पूर्ण सत्र के एजेंडे में नहीं था। इसलिए यह कहने का कोई मतलब नहीं कि चीन ने उनके प्रवेश पर आपत्ति जताई।  

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