समुद्र का स्तर तीन मीटर तक बढ़ने का खतरा
एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया गया है कि समुद्र का स्तर तीन मीटर तक बढ़ने का खतरा है। शोधकर्ताओं ने इसकी वजह ग्लोबल वार्मिंग बताई है। साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कार्बन डाई...
एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया गया है कि समुद्र का स्तर तीन मीटर तक बढ़ने का खतरा है। शोधकर्ताओं ने इसकी वजह ग्लोबल वार्मिंग बताई है।
साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन के प्रभावों का अध्ययन किया। अंटार्कटिक के द्रव्यमान और सांख्यिकीय आंकड़ों के निष्कर्षों के आधार पर बताया कि वर्ष 2100 तक समुद्र का स्तर 2.5 से 3 मीटर तक बढ़ सकता है। यह एक अप्रत्याशित परिदृश्य हो सकता है।
साउथैम्पटन से प्रोफेसर साइब्रेन ड्राजफहाउथ ने कहा, वर्ष 2100 तक समुद्र के स्तर में तीन मीटर से भी अधिक की बढ़ोतरी की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ग्लोबल वार्मिंग से दस मीटर से भी ज्यादा तक समुद्र के स्तर में वृद्धि हो सकती है।
इस संकेत को लेागों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। राष्ट्रीय समुद्रीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) से सहयोग से हुए इस अध्ययन में बताया गया कि भविष्य में 2 से 2.5 मीटर तक समुद्र का स्तर बढ़ सकता है। नए अध्ययन में यह भी बताया कि इससे अंटार्कटिका अप्रत्याशित रूप से और तेजी से पिघल सकता है।
यह पहली बार है कि जब विकसित हो रहे इस तरह के परिदृश्यों के अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने मजबूत सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग किया गया है, जबकि इससे पहले हुए अध्ययनों में समुद्री स्तर के अनुमान विषय विशेषज्ञों के निर्णय पर आधारित थे।
प्रोफेसर साइब्रेन ड्राजफहाउथ ने कहा कि लोगों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि जब तक कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम नहीं करेंगे तब तक इस खतरे को भी टाल नहीं पाएंगे। जितना कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ेगा, यह खतरा उतना ही बढ़ता जाएगा।