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Hindi NewsPhotos: ये है 'मौत की घाटी', अदृश्य ताकत से यहां पत्थर भी चलते हैं

Photos: ये है 'मौत की घाटी', अदृश्य ताकत से यहां पत्थर भी चलते हैं

आपने अमेरिका के सबसे गर्म इलाके 'डेथ वैली' के बारे में तो सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है कि इसके कई इलाकों में पत्थरों के खुद ब खुद चलने की घटनाएं बहुत आम बात है। इन पत्थरों में कई का...

Photos: ये है 'मौत की घाटी', अदृश्य ताकत से यहां पत्थर भी चलते हैं
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 03 Aug 2016 02:30 PM
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आपने अमेरिका के सबसे गर्म इलाके 'डेथ वैली' के बारे में तो सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है कि इसके कई इलाकों में पत्थरों के खुद ब खुद चलने की घटनाएं बहुत आम बात है। इन पत्थरों में कई का वज़न तो कई टन तक है। ये पथर खिसककर आगे बढ़ते हैं जिससे इसके चलने का निशान भी पीछे छूटता जाता है। 

कहां है डेथ वैली
डेथ वैली उत्तरी अमेरिका का सबसे गर्म, सूखा और रहस्यमयी स्थान है। ये कैलिफोर्निया के दक्षिण-पूर्व में नेवाडा स्टेट की सीमा के पास है। इसकी लंबाई 225 किलोमीटर है। अलग-अलग जगहों पर इसकी चौड़ाई घटती-बढ़ती रहती है और ये 8 से 24 किमी के बीच है। इसका विस्तार पूर्व के अमार्गोसा रेंज और पश्चिम के पैनामिंट रेंज के बीच उत्तर से दक्षिण में है।

कैसे पड़ा डेथ वैली नाम
शुरू-शुरू में अमेरिका आने वाले लोगों को यह घाटी पार करके ही आना पड़ता था। इसकी झुलसा देने वाली गर्मी और सूखेपन के चलते ज्यादातर लोग घाटी को पार करने के दौरान मारे जाते थे। कैलिफोर्निया के आसपास के इलाकों में सोने के भंडारों का पता लगाने के लिए जाने वाले बहुत से लोग इस घाटी को पार करते समय मारे गए। इन भयानक परिस्थितियों के कारण ही इस घाटी का नाम ‘डेथ वैली’ यानी ‘मौत की घाटी’ पड़ गया। साल1870 में जब घाटी का अध्ययन किया गया, तो इसमें हजारों जानवरों और मनुष्यों की हड्डियों के ढांचे मिले। साल 1933 में इस वैली को अमेरिका का नेशनल मोन्यूमेंट घोषित कर दिया गया। 

चलते पत्थर हैं सबसे बड़ा रहस्य
डेथ वैली में रहस्यमय ढंग से सरकने वाले पत्थरों को देखा गया है। इन पत्थरों में कई तो 115 किलो ग्राम तक भारी हैं। बिना किसी मदद के ये पत्थर आश्चर्यजनक रूप से इस घाटी की सतह पर एकदम सीधी पंक्ति में चलते हैं। वजन में भारी होने के बावजूद ये पत्थर सैकड़ों फीट तक सरकते देखे गए हैं। पत्थरों का सरकना दुनिया भर के वैज्ञानिकों के अध्ययन का विषय बना हुआ है। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा तेज हवाओं और बर्फीली सतह पर होने वाली हलचल के कारण होता है।

हालांकि वैज्ञानिकों की इस मान्यता से परे यहां पर पत्थर विभिन्न दिशाओं में अलग-अलग गति से सरकते पाए गए हैं। सरकते हुए ये पत्थर अपने पीछे एक लंबी पटरी छोड़ जाते हैं, जिससे इनके सरकने का पता चलता है। माना जाता है कि यह पत्थर साल में सिर्फ एक दो बार ही सरकते हैं। इन्हें आज तक किसी ने सरकते हुए नहीं देखा है, सिर्फ इनके द्वारा पीछे छोड़ी गई रेखाओं के कारण ही इनके सरकने का पता चलता है।

 

क्या कहते हैं वैज्ञानिक 
वैज्ञानिकों का मानना है कि इन पत्थरों की इस अद्भुत गतिविधि का कारण मौसम की खास स्थिति हो सकती है। इस बारे में किए गए शोध बताते हैं कि रेगिस्तान में 90 मील प्रति घंटे की गति से चलने वाली हवाएं, रात को जमने वाली बर्फ और सतह के ऊपर गीली मिट्टी की पतली परत, ये सब मिलकर पत्थरों को गतिमान करते होंगे। 

कुछ पर्यावरणविदों का मानना है कि जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि होगी, वैसे-वैसे पत्थरों का खिसकना बंद हो जाएगा। इस बारे में एक सिद्धांत यह बताया जाता है कि रेत की सतह के नीचे उठते पानी और सतह के ऊपर बहती तेज हवाओं के मेल के कारण पत्थर खिसकते हैं। फोटोग्राफर माइक बायरन ने पत्थरों की हलचल को फिल्माने में कई साल बिताए हैं। ‘डेली टेलीग्राफ’ को दिए साक्षात्कार में बायरन ने बताया कि रेगिस्तान में अपने आप चलने वाले कुछ पत्थर आदमी के वजन जितने भारी हैं। इतने भारी पत्थरों का बिना बाहरी कारण के आगे सरकना बहुत ही आश्चर्यजनक और अविश्वसनीय है। उनके मुताबिक, यह पहेली आज तक अनसुलझी ही है। 1980 में हैम्पशायर,मैसाचुसेट्स कॉलेज के प्रोफेसर जोनरीड ने इन सरकते पत्थरों को लेकर एक अध्ययन किया।

दुनिया की सबसे गर्म जगह है डेथ वैली
मौसम विज्ञानियों ने अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित डेथ वैली को विश्व के सबसे गर्म स्थान का दर्जा दिया है। डब्ल्यूएमओ के पैनल ने यह निष्कर्ष निकाला है। डेथ वैली की गहराई और आकार उसके गर्मियों के तापमान को प्रभावित करते हैं। यह घाटी समुद्र तल से 282 फीट (86 मी.) नीचे एक लंबे, संकरे बेसिन के रूप में है, जबकि इसके चारों ओर ऊंची और सीधी खड़ी पर्वत श्रृंखलाएं मौजूद हैं।


 
इस वैली का तापमान 49 सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है और यहां बारिश भी बस नाम-मात्र की होती है। साल में औसत वर्षा केवल 5 से.मी. के लगभग होती है। घाटी में पानी का निशान तक नहीं है। हालांकि यह सारी घाटी ही रेगिस्तान है, लेकिन फिर भी यहां खरगोश, गिलहरी, कंगारू, चूहे जैसे बहुत से जानवर मिलते हैं। टिम्बिश जनजाति के लोग पिछले एक हजार सालों से डेथ वैली में रह रहे हैं।

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