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अमेरिका से कभी हार नहीं मानने वाले फिदेल कास्त्रो नहीं रहे

क्यूबा के क्रांतिकारी नेता एवं पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का निधन हो गया। वह 90 साल के थे। क्यूबा के सरकारी टीवी ने कास्त्रों के निधन की पुष्टि की है। वहीं कास्त्रो के भाई राऊल कास्त्रो ने...

अमेरिका से कभी हार नहीं मानने वाले फिदेल कास्त्रो नहीं रहे
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 26 Nov 2016 01:00 PM
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क्यूबा के क्रांतिकारी नेता एवं पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का निधन हो गया। वह 90 साल के थे। क्यूबा के सरकारी टीवी ने कास्त्रों के निधन की पुष्टि की है। वहीं कास्त्रो के भाई राऊल कास्त्रो ने बताया कि उनकी तबीयत दिन- बन दिन खराब होती जा रही थी। शनिवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। 


कास्त्रों को क्यूबा में कम्युनिस्ट क्रांति का जनक माना जाता है और वह आधुनिक विश्व में सबसे बड़े कम्युनिस्ट नेताओं में एक माने जाते हैं। अमेरिका के बिलकुल नजदीक क्यूबा में कम्युनिस्ट शासन चलाने वाले कास्त्रों ने खराब स्वास्थ्य के चलते वर्ष 2008 में देश की सत्ता अपने छोटे भाई राउल कास्त्रों को सौंप दी थी। 
पिछले अगस्त में अपना 90 वां जन्मदिन वाले कास्त्रों पिछले कई वर्षों से बीमारी की वजह से जनता के बीच बहुत कम दिखाई देते थे। 

क्यूबा की सन् 1959 में हुई क्रांति के नेता फिदेल कास्त्रो इसी साल अगस्त में अपना 90 वां जन्मदिन मनाया था। स्वास्थ्य कारणों से बहुत कम दिखाई देने वाले कास्त्रो के जन्मदिन पर कार्ल मार्क्स सभागार में समारोह आयोजित किया गया था। समारोह का लाइव टेलीकास्ट पूरे देश ने देखा और खुशियां मनाईं थी। जैसे आधी रात में तारीख बदली, वैसे ही बैंड ने हैप्पी बर्थडे... की धुन बजाई गई थी।

पीएम मोदी ने जताया शोक

क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वे 20वीं शताब्दी के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शामिल एक महान व्यक्तित्व थे। भारत ने एक अच्छे दोस्त को खो दिया।

 

भाई को सौंपी थी सत्ता

अमेरिका के बिल्कुल नजदीक क्यूबा में कम्युनिस्ट शासन चलाने वाले कास्त्रो ने खराब स्वास्थ्य के चलते सन 2008 में देश की सत्ता अपने छोटे भाई राउल कास्त्रो को सौंप दी थी। लेकिन पर्दे के पीछे वे ही असली ताकत बने हुए थे। 

अमेरिका की आंख की किरकिरी बने रहे कास्त्रो

कास्त्रो करीब आधा शताब्दी तक अमेरिका की आंख की किरकिरी बने रहे। इस दौरान कई बार उन्हें मारने की साजिश हुईं लेकिन वह बाल-बाल बचते रहे। माना जाता है कि इन साजिशों के पीछे अमेरिकी खुफिया संस्था सीआइए थी। इस कटुता को दूर करने की नीयत से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा इसी साल मार्च में हवाना दौरे पर आए। यह किसी अमेरिकी नेता की 88 साल में पहली क्यूबा यात्रा थी। ओबामा ने इस दौरान क्यूबा की जनता से भी बात की और लोकतंत्र की चर्चा की। फिदेल को यह नागवार लगा। उन्होंने इसकी निंदा भी की।

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