चीन की गुंडागर्दी: दूसरे देशों के समंदर से चुरा रहा है मछलियां
दक्षिण सागर पर कब्जे की कोशिश के साथ ही चीन समंदर में नई तरह की गुंडागर्दी भी कर रहा है। सरकारी मदद के दम पर चीन के मछुआरे दक्षिण अफ्रीकी देशों जैसे सेनेगल की समुद्री सीमा में घुसकर मछलियां पकड़...
दक्षिण सागर पर कब्जे की कोशिश के साथ ही चीन समंदर में नई तरह की गुंडागर्दी भी कर रहा है। सरकारी मदद के दम पर चीन के मछुआरे दक्षिण अफ्रीकी देशों जैसे सेनेगल की समुद्री सीमा में घुसकर मछलियां पकड़ रहे हैं। इससे न केवल अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून का उल्लंघन हो रहा है बल्कि सेनेगल जैसे बेहद गरीब देशों की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है।
फ्रंटियर इन मरीन साइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक मछलियों के ज्यादा शिकार के कारण दुनिया के 90 फीसदी समुद्र पर बोझ बढ़ रहा है। खासकर चीन के समंदर की हालत काफी खराब है। पर चीनी मछुआरों के अफ्रीकी देशों में शिकार के चलते वहां के समंदरों से भी मछलियां कम होती जा रही हैं। इन देशों की बेहद कमजोर सरकार और नौसेना चीन की नौकाओं को रोकने में भी नाकामयाब रहती हैं। चीन के 75 साल के मछुआरे झू देलोंग के मुताबिक पहले समंदर में काफी मछलियां निकलती थीं। अब कम हो रही हैं।
जनसंख्या और बेरोजगारी से बढ़ी समस्या
चीन पर जनसंख्या का बोझ बेहद ज्यादा है। वहीं चीन में मछलियां और सीफूड की खपत भी ज्यादा है। यहां बेरोजगारी की समस्या भी ज्यादा है। इसलिए बड़ी संख्या में लोग मछलियों के शिकार के पेशे में आ रहे हैं।
सरकार करती है मदद
ऐसा नहीं है कि चीनी मछुआरे अपनी मर्जी से दूसरे देशों की सीमा में घुस जाते हैं। चीन की सरकार मछुआरों को नौका और ईंधन के लिए काफी सब्सिडी भी देती है। 2011 से 2015 के बीच सरकार ने फिशिंग इंडस्ट्री को 22 अरब डॉलर की सब्सिडी दी है।
ड्रैगन के पास नौकाओं की फौज
-2600 लंबी दूरी की नौकाएं हैं चीन के पास
-75 फीसदी इनमें से मछली पकड़ने के लिए दूसरे देशों के समुद्री क्षेत्रों में घुसती हैं
-7 दिन में चीन की एक नाव इतनी मछलियां पकड़ती हैं, जितनी सेनेगल की एक नाव साल भर में
-130 अरब रुपये का नुकसान होता है पश्चिमी अफ्रीकी देशों की अर्थव्यवस्था को
चीन में मछली की सबसे ज्यादा खपत
-33 फीसदी मछलियों की खपत अकेले चीन में
-6 फीसदी प्रति वर्ष की रफ्तार से बढ़ रही मांग
मछलियों से मिलता रोजगार
-1.4 करोड़ लोग चीन में जुड़े फिशिंग इंडस्ट्री से
-50 लाख लोग जुड़े थे 1979 में इस उद्योग से