फोटो गैलरी

Hindi Newsचर्चा में चेहरा: भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष की मिसाल ग्रिल्लो

चर्चा में चेहरा: भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष की मिसाल ग्रिल्लो

इटली के जाने माने कॉमेडियन और ब्लॉगर बैपे ग्रिल्लो भ्रष्टाचार के खिलाफ सफल संघर्ष की मिसाल बनकर उभरे हैं। पिछले दिनों इटली में एक जनमत संग्रह के बाद प्रधानमंत्री पमैटियो रेंजी को इस्तीफा देना पड़ा।...

चर्चा में चेहरा: भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष की मिसाल ग्रिल्लो
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 11 Dec 2016 11:12 AM
ऐप पर पढ़ें

इटली के जाने माने कॉमेडियन और ब्लॉगर बैपे ग्रिल्लो भ्रष्टाचार के खिलाफ सफल संघर्ष की मिसाल बनकर उभरे हैं। पिछले दिनों इटली में एक जनमत संग्रह के बाद प्रधानमंत्री पमैटियो रेंजी को इस्तीफा देना पड़ा। तब रेंजी के इस्तीफे के साथ ग्रिल्लो की काफी चर्चा हुई। ग्रिल्लो ने अपनी कॉमेडी के जरिये मतदाताओं को देश के भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ वोट देने की अपील की थी। जनमत संग्रह के नतीजों ने दिखलाया कि ग्रिल्लो का इटली के मतदाताओं पर खासा असर पड़ा। 

संविधान-संशोधन का विरोध : रेंजी सीनेट की शक्तियां कम करने के लिए संविधान में संशोधन करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने जनमत-संग्रह कराया। ग्रिल्लो सीनेट की शक्ति कम करने को लोकतंत्र के खिलाफ मान रहे थे। उन्होंने कॉमेडी के जरिये लोगों से संविधान-संशोधन के खिलाफ वोट देने की अपील की। उनकी अपील का असर हुआ। करीब 60 फीसदी मतदाताओं ने जनमत-संग्रह के खिलाफ वोट दिया।

राजनीतिक अभियान
2008 में अपने समर्थकों को ‘सिविक लिस्ट’ बनाने को कहा। इसमें वही लोग हो सकते थे, जिनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला न हो और जो किसी भी सियासी पार्टी से जुड़े न हों। ये उसी क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते थे, जहां ये सदस्य के बतौर पंजीकृत थे। साथ ही एक बार से ज्यादा निर्वाचित नहीं हो सकते थे।

एक सियासी पार्टी बनाई
सिविक लिस्ट की सफलता से उत्साहित होकर सितंबर 2009 में ‘फाइव स्टार मूवमेंट’ नामक एक सियासी पार्टी बनाई। इसका कोई मुख्यालय नहीं था। कोष भी नहीं था। साल 2013 के आम चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारे। हाउस ऑफ डेपुटीज की 630 सीटों में से 109 सीटें जीत कर तीसरी सबसे बड़ी ताकत बनी।

ग्रिल्लो विभिन्न टेलीविजन शो में राजनीतिक विश्लेषक के रूप में बेबाकी से अपने विचार रखते थे। साल 1987 में देश के पीएम की आलोचना की। तब कुछेक को छोड़ सभी टेलीविजन चैनलों ने बुलाना बंद कर दिया। लेकिन उनकी लोकप्रियता अप्रभावित रही। उनकी मौजूदगी से चैनलों की टीआरपी बढ़ जाती थी।

‘टाइम’ के कवर पर ग्रिल्लो का ब्लॉग इतना लोकप्रिय हुआ कि 2008 में वह दुनिया का सबसे प्रभावशाली नौवां ब्लॉग चुना गया। सियासी भ्रष्टाचार के खिलाफ ग्रिल्लो की मुहिम को देखते हुए टाइम पत्रिका ने उनको अपने आवरण पर जगह दी।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें