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Hindi News'परमाणु संबंधी भारत का दृष्टिकोण गतिशील चरण में'

'परमाणु संबंधी भारत का दृष्टिकोण गतिशील चरण में'

पाकिस्तान के साथ करीब दो दशक की परमाणु प्रतिस्पर्धा के बाद, लंबी दूरी की कई बैलिस्टिक मिसाइलें विकसित कर रहा भारत अब चीन के साथ अपने भावी रणनीतिक संबंधों पर ध्यान देता प्रतीत हो रहा है। यह बात एक...

'परमाणु संबंधी भारत का दृष्टिकोण गतिशील चरण में'
एजेंसीThu, 03 Sep 2015 10:35 AM
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पाकिस्तान के साथ करीब दो दशक की परमाणु प्रतिस्पर्धा के बाद, लंबी दूरी की कई बैलिस्टिक मिसाइलें विकसित कर रहा भारत अब चीन के साथ अपने भावी रणनीतिक संबंधों पर ध्यान देता प्रतीत हो रहा है। यह बात एक अमेरिकी थिंक टैंक की रिपोर्ट में कही गई है।

बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट की रिपोर्ट में कल लेखक हैन्स एम क्रिस्टेन्सेन एवं रॉबर्ट एच नोरिस ने कहा लंबी दूरी की कई बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित कर रहे भारत का परमाणु संबंधी दृष्टिकोण अब एक महत्वपूर्ण एवं गतिशील चरण में प्रवेश कर रहा है। पाकिस्तान के साथ करीब दो दशक तक प्रतिस्पर्धा पर ध्यान केंद्रित करने के बाद भारत का परमाणु संबंधी कार्यक्रम अब चीन के साथ अपने भावी रणनीतिक संबंधों पर केंद्रित होता प्रतीत होता है।

इंडियन न्यूक्लियर फोर्सेज, 2015 शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में किस्टेन्सेन एवं नोरिस ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार भारत ने करीब 540 किलोग्राम हथियार ग्रेड प्लूटोनियम का उत्पादन किया है जो 135 से 180 परमाणु आयुधों के लिए पर्याप्त है। हालांकि समस्त सामग्री का उपयोग नहीं किया जा रहा है। उन्होंने अनुमान लगाया कि भारत ने 110 से 120 परमाणु आयुध तैयार किए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के लड़ाकू बमवर्षक अब भी इसके परमाणु हमला बल की रीढ़ की हड्डी हैं, लेकिन उसने भरोसेमंद, भूमि आधारित बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। आगे कहा गया है कि उन्होंने (भारत ने) अग्नि़-4 मिसाइल को शामिल किया है जो 3,500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक एक परमाण आयुध ले जाने में सक्षम है और इस तरह अब वह उत्तरी भारत से बीजिंग तथा शंघाई तक हमला करने में सक्षम हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2014 में भारत ने परमाणु संपन्न बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी का अपना पहला समुद्री परीक्षण किया। इसमें कहा गया है कि जो नयी मिसाइल विकसित की जा रही है, उसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ और जरूरी होगा। मुंबई के समीप ध्रुव प्लूटोनियम उत्पादन संयंत्र के अलावा भारत ने विशाखापत्तनम के समीप दूसरे संयंत्र के निर्माण की योजना बनाई है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कलपक्कम के समीप इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च (आईजीसीएआर) के 650 किमी दक्षिण में एक फास्ट ब्रीडर रिएक्टर निर्माणाधीन है जो काम शुरू करने के बाद भारत की प्लूटोनियम उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करेगा। रिपोर्ट के अनुसार, मूल परमाणु विमान पुराने हो रहे हैं और भारत शायद एक आधुनिक लड़ाकू बमवर्षक की तलाश करेगा जो वायु आधारित परमाणु हमले का जिम्मा संभाल सके।

 

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