भारतवंशियों ने विकसित किया हाइड्रोजेल
हारवर्ड विश्वविद्यालय में भारतवंशी शोधकर्ताओं के एक दल ने एक अनोखा जैविक हाइड्रोजेल विकसित किया है, जिससे ऊतक अभियांत्रिकी से जुड़े एप्लीकेशन के शोध और विकास कार्य में तेजी आ सकती है। हारवर्ड...
हारवर्ड विश्वविद्यालय में भारतवंशी शोधकर्ताओं के एक दल ने एक अनोखा जैविक हाइड्रोजेल विकसित किया है, जिससे ऊतक अभियांत्रिकी से जुड़े एप्लीकेशन के शोध और विकास कार्य में तेजी आ सकती है। हारवर्ड में वेस इंस्टीट्यूट फॉर बायोलोजिकल इंस्पायर्ड इंजीनियरिंग के सहायक प्राध्यापक नील जोशी ने कहा कि इसे शरीर में इंजेक्शन के जरिए डाला जा सकता है, यानी शरीर में चोटिल स्थानों या गांठ वाले स्थानों में कोशिका या दवाई पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
उन्होंने बताया, इसे किसी चीज में मिलाना आसान है, इसलिए हम प्रयोगशाला में विभिन्न चीजों में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। हाइड्रोजेल में 99 फीसदी पानी है और यह बनावट में मानव ऊतकों की तरह है। यह कांटेक्ट लेंस के अलावा भी विभिन्न रूपों में हो सकता है।
बायोमेडिकल इंजीनियर हाइड्रोजेल को 3डी मॉलीक्युलर ढांचे के रूप में सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर चुके हैं, जिसे कोशिका या अणु से भरा जा सके और फिर शरीर में इंजेक्शन के जरिए पहुंचाया जा सके।