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नेपाल में भूकंप से हिंदू मंदिरों को भारी नुकसान

नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप ने काठमांडू घाटी और अन्य हिस्से में स्थित कई हिंदू मंदिर या तो जमींदोज हो गए या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। समाचारपत्र 'कांतिपुर न्यूज' में रविवार को छपी खबर के...

नेपाल में भूकंप से हिंदू मंदिरों को भारी नुकसान
एजेंसीSun, 26 Apr 2015 06:53 PM
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नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप ने काठमांडू घाटी और अन्य हिस्से में स्थित कई हिंदू मंदिर या तो जमींदोज हो गए या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं।

समाचारपत्र 'कांतिपुर न्यूज' में रविवार को छपी खबर के अनुसार, शनिवार को 7.9 तीव्रता के भूकंप और दिनभर रुक-रुक कर आए भूकंप के अन्य झटकों से काठमांडू स्थित बसंतपुर दरबार स्क्वायर के करीब 80 फीसदी मंदिर तबाह हो गए।

जमींदोज हुए हिंदू मंदिरों में कस्थमंडप मंदिर, पंचतले मंदिर, दसावतार मंदिर और कृष्ण मंदिर शामिल हैं। काष्ठमंडप मंदिर 16वीं सदी के प्रारंभ में बनाया गया लकड़ी का स्मारक है। नेपाल की 80 फीसदी आबादी में से करीब 2.9 करोड़ लोग हिंदू हैं। यहां ईसाइयों की आबादी 10 फीसदी और मुस्लिमों की चार फीसदी है।

'एबीसी न्यूज ऑस्ट्रेलिया' की रिपोर्टर सियोभान हेएनू ने अंग्रेजी चैनल 'सीएनएन' को बताया कि जिस समय भूकंप आया, वह काठमांडू स्थित एक प्राचीन मंदिर के परिसर में थी। उनके ईदगिर्द कुछ मंदिर ताश के पत्तों की तरह नीचे आ गिरे।

धरहरा स्थित विख्यात भीमसेन टॉवर सहित सदियों पुराने ऐतिहासिक स्मारक उस जलजले में मलबे में तब्दील हो गए।  दैनिक समाचारपत्र कांतिपुर के अनुसार, पाटन में चार नारायण मंदिर, तलेजू मंदिर, हरिशंकर मंदिर और उमा महेश्वर मंदिर को तहस-नहस हो गया। वहीं बंगमती में मछिंद्रनाथ मंदिर का भी यही हाल है।

समाचारपत्र की ओर से कहा गया कि भक्तपुर में फासी देवा मंदिर, चारधाम मंदिर सहित कई स्मारक और 17वीं सदी के वत्सल दुर्गा मंदिर पूरी या आंशिक रूप से बर्बाद हो गए। समाचारपत्र ने इतिहासकार पुरुषोत्तम लोचन श्रेष्ठ के हवाले से कहा कि घाटी के बाहर गोरखा में मनकामना मंदिर, कवरेपालन चौक में पालनचौक भगवती, पल्पा में रानी महल, जनकपुर में जानकी मंदिर, मकवानपुर में चूडिम्यामाई, दोलखा में दोलखा भीमसंस्थान और नुवाकोट दरबार को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है।

उन्होंने कहा, ''हमने काठमांडू, भक्तपुर और ललितपुर में विश्व धरोहर स्थलों के रूप में घोषित अधिकांश स्मारकों को खो दिया है। उन्हें उनके मूल रूप में नहीं लाया जा सकता।''

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