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पुरुषों से ज्यादा महिलाएं रहती हैं बीमारियों से परेशान, जानिए वजह

महिलाओं का बीमारियों से जन्म से ही नाता रहता है। पुरुषों की तुलना में शारीरिक रूप से कमजोर होने की वजह से वे अक्सर बीमारियों से घिरी रहती हैं। महिलाओं के शरीर में प्रतिरोधी क्षमता कम होती...

पुरुषों से ज्यादा महिलाएं रहती हैं बीमारियों से परेशान, जानिए वजह
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 30 Aug 2016 01:51 PM
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महिलाओं का बीमारियों से जन्म से ही नाता रहता है। पुरुषों की तुलना में शारीरिक रूप से कमजोर होने की वजह से वे अक्सर बीमारियों से घिरी रहती हैं। महिलाओं के शरीर में प्रतिरोधी क्षमता कम होती है। इस वजह से उनका शरीर कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है। 

आज के भागदौड़ और खान-पान की अनियमितता के माहौल में महिलाओं की शारीरिक समस्याएं और भी बढ़ गई हैं। जबकि पुराने समय की महिलाओं में बमुश्किल ही कोई गंभीर बीमारी देखी जाती थी। अब भी बुजुर्ग महिलाओं को आज की महिलाओं की तुलना में तन्दुरुस्त देखा जा सकता है। जबकि वे ना ही कभी जिम गईं और ना ही उनके पास हमारी तरह हेल्दी खाने की चीजें थीं। वहीं, घर और बाहर की जिम्मेदारियां संभालने के कारण भी आज की महिलाएं अपने स्वास्थ्य पर
ठीक ढंग से ध्यान नहीं दे पातीं।

इसी क्रम में आज हम आपको महिलाओं से संबंधित कुछ ऐसी गंभीर बीमारियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे उन्हें हमेशा जूझना पड़ता है।

महिलाएं किन बीमारियों से रहती हैं परेशान?

तनाव
तनाव आज एक बड़ी बीमारी बनकर उभर रहा है। ये पुरुषों के मुकाबले महिलओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। यह शारीरिक रूप से तो कमजोर करता ही है। साथ ही भावनात्मक दर्द भी पहुंचाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति न तो ठीक से काम कर पाता है और ना ही जीवन का आनंद उठा पाता है। तनाव के कई कारण हो सकते हैं- दुख-दर्द ,प्यार, रिश्ते, करियर, शराब लेने की आदत, मोटापा इत्यादि। 

बदलते सामाजिक परिवेश में महिलाएं बड़े पैमाने पर तनाव की शिकार हो रही हैं। इनमें कामकाजी महिलाओं की तादाद सबसे ज्यादा है। जहां घरेलू महिलाओं को घर के माहौल से तनाव होता है, वहीं कामकाजी महिलाएं घरेलू और बाहरी दोनों कारणों से तनाव की शिकार होती हैं।

गठिया
गठिया रोग से अधिकतर महिलाएं ही ग्रस्त रहती हैं। हड्डियों से संबधित यह बीमारी 40 साल की उम्र होने के बाद शुरू हो जाती है। इस रोग में पीड़ित व्यक्ति को असहनीय दर्द होता है। इसके कारण महिलाओं के रोजाना के कार्यों पर असर पड़ता है। हालांकि, महिलाओं में पुरुषों की तुलना में इस रोग के लक्षण पहले दिखाई देते हैं।
गठिया कोई एक बीमारी नहीं है। इसके विभिन्न प्रकार हैं, जिनका अलग-अलग उपचार होता है। हालांकि, इसे गठिया नाम से ही बुलाया जाता है। इस बीमारी से शरीर के जोड़ों में दर्द होता है। बदलते मौसम के साथ गठिया की समस्या काफी देखी जाती है। इसीलिए गठिया के मरीजों को सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें अपना वजन पर खास ध्यान देना चाहिए,क्योंकि वजन बढ़ने से जोड़ों पर ज्यादा जोर पड़ता है।

ब्रेस्ट कैंसर
आज के समय में महिलाओं में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है। आज 32 फीसदी शहरी महिलाएं स्तन कैंसर से पीड़ित हैं। बदलती जीवनशैली, देर से शादी करने, देर से बच्चे पैदा करने और स्तनपान में कमी जैसे कारणों से महिलाएं कम उम्र में ही ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हो रही हैं। 
पहले 45 से 55 साल की महिलाओं में यह बीमारी देखी जाती थी, लेकिन अब 18 साल की महिलाओं में भी यह बीमारी देखी जा रही है। हालांकि, कम उम्र में कैंसर न होकर गांठें हो जाती हैं, जो सही उपचार न मिलने पर कैंसर का रूप ले सकती हैं। गांठें होने के कारण स्तन पूरी तरह विकसित नही हो पाते और कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं।

डायबिटीज
डायबिटीज ऐसी बीमारी है, जिससे महिलाएं अधिक ग्रसित रहती हैं। डायबिटीज के दौरान शरीर में इंसुलिन हार्मोन बनना बंद हो जाता है, इसमें पेंक्रियाज ग्रंथि सुचारू रूप से काम करना बंद कर देती है। इस ग्रंथि से इंसुलिन के अलावा कई तरह के हार्मोंस निकलते हैं,जिनके ठीक ढंग से काम नहीं करने पर कई बीमारियां जन्म लेने लगती हैं।
खान-पान की गलत आदतों और आलस के कारण महिलाएं इस बीमारी की शिकार हो रही हैं। तला खाना खाने और अपनी डाइट में फलों को शामिल न करने के कारण डायबिटीज व मोटापे की समस्या बढ़ जाती है। 45-50 वर्ष की महिलाओं में इस रोग का खतरा ज्यादा देखने को मिलता है। 

फाइब्रायड
फाइब्रॉयड यानी रसौली। इसे ट्यूमर भी कहते हैं। रसौली ऐसी गांठें होती हैं, जो महिलाओं के गर्भाशय में या उसके आसपास पनपती हैं। इसके कारण बांझपन का खतरा होने की आशंका रहती है। वैसे तो 16 से 50 साल की महिलाएं कभी-भी इस बीमारी की चपेट में आ सकती हैं, लेकिन अक्सर 30 से 50 साल की महिलाओं में ये अधिक देखी जाती है।
यह बीमारी अलग-अलग आकार की होती है। इनका आकार तब बढ़ता है, जब एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने लगता है, जैसे गर्भावस्था के दौरान। इनका आकर तब घटने लगता है, जब एस्ट्रोजन का स्तर गिरने लगता है, जैसे मेनोपोज होने के बाद।

यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई)
महिलाओं के लिए यूरिन से जुड़ी परेशानियां कोई नई बात नहीं है। वे अक्सर इस समस्या से जूझती हैं। इस समस्या के कारण यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) होता है। यह बैक्टीरिया के इंफेक्शन की वजह से होता है और वजाइना के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकता है। 
यह यूरिनरी सिस्टम का इंफेक्शन है। इस सिस्टम के अंग हैं किडनी, यूरिनरी ब्लैडर और युरेथ्रा। इनमें से कोई भी अंग प्रभावित हो जाए तो उसे यूटीआई कहा जाता है। इस बीमारी में यूरिनरी ट्रैक्ट का निचला हिस्सा ज्यादा प्रभावित होता है और कई बार यह इंफेक्शन युरेथ्रा और ब्लैडर तक फैल जाता है। उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में इस तरह की परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं। विशेषतौर पर, मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजेन हार्मोन में कमी आने से इंफेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया के
पनपने की संभावना अधिक रहती है।
 
दिल की बीमारी
भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में दिल की बीमारी होने का खतरा दोगुना हो गया है। 35 से 55 साल की महिलाएं इसकी शिकार हो रही हैं। अधिकतर घर और ऑफिस दोनों जगह काम करने वाली महिलाओं के दिल पर ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। हाइपरटेंशन, हाई बल्ड प्रेशर और हार्ट अटैक अब महिलाओं को अधिक हो रहा है। महिलाओं में डायबिटीज होने पर हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।

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