शोधकर्ताओं की नसीहत: डायबिटीज से बचना है तो न खाएं लगातार ठंडी-ठंडी हवा
मई-जून की चिलचिलाती गर्मी में हर वक्त एसी-कूलर की हवा खाते रहना भला किसे अच्छा नहीं लगता। हालांकि नीदरलैंड में हुए एक नए अध्ययन में टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को लगातार कई घंटों तक ठंडी हवा...
मई-जून की चिलचिलाती गर्मी में हर वक्त एसी-कूलर की हवा खाते रहना भला किसे अच्छा नहीं लगता। हालांकि नीदरलैंड में हुए एक नए अध्ययन में टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को लगातार कई घंटों तक ठंडी हवा लेने के बजाय बीच-बीच में एसी-कूलर का तापमान घटाते रहने की सलाह दी गई है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक थोड़ी-थोड़ी देर पर हल्के ठंडे और गर्म वातावरण में रहने से न सिर्फ चयापचय क्रिया तेज होती है, बल्कि इंसुलिन हार्मोन की कार्य क्षमता भी बढ़ती है। यह ग्लूकोज को ऊर्जा में तब्दील करने और मोटापे के साथ-साथ टाइप-2 डायबिटीज, हृदयरोग व स्ट्रोक का खतरा घटाने में कारगर है। मासट्रिच यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित सैकड़ों मरीजों पर तापमान में उतार-चढ़ाव का असर आंकने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। उन्होंने बदलते तापमान को ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रखने में टाइप-2 डायबिटीज की दवाओं जितना ही असरदार पाया है।
प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर वूटर वैन मार्केन लिशेनबेल के अनुसार 21 से 22 डिग्री सेल्सियस का तापमान मानव शरीर के लिए अमूमन सबसे आरामदायक माना जाता है। घर और दफ्तर में इनसान इसे समय-समय पर एक से दो डिग्री सेल्सियस घटाता-बढ़ाता रहे तो चयापचय क्रिया और इनसुलिन की कार्यक्षमता में तेजी से ऊर्जा की खपत में वृद्धि सुनिश्चित की जा सकती है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि डायबिटीज रोगी खानपान और व्यायाम से समझौता करें। अध्ययन के दौरान मार्केन और उनके साथियों ने डायबिटीज रोगियों को लगातार दस दिन तक घटते-बढ़ते तापमान वाले वातावरण में रखा। इस दौरान उनमें इनसुलिन की कार्य क्षमता में 40 फीसदी तक की वृद्धि देखी गई।
सलाह
-थोड़ी-थोड़ी देर पर तापमान घटाते-बढ़ाते रहने से चयापचय क्रिया तेज होती है
-इंसुलिन की कार्य क्षमता में वृद्धि से शुगर को ऊर्जा में बदलने में मदद मिलती है
सुझाव
-21 से 22 डिग्री सेल्सियस तापमान मानव शरीर के लिए आरामदायक माना जाता है
-1 से 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि और कमी भी ब्लड शुगर नियंत्रित रखने में मददगार
सावधान
-5 करोड़ से अधिक डायबिटीज रोगी भारत में, डब्ल्यूएचओ का दावा
-90 फीसदी से ज्यादा मामलों में पीड़ित टाइप-2 डायबिटीज के शिकार
क्या है टाइप-2 डायबिटीज
-अग्नाशय के पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन न करने या शरीर के इस हार्मोन के इस्तेमाल में असमर्थ होने पर व्यक्ति टाइप-2 डायबिटीज का शिकार हो जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ अव्यवस्थित दिनचर्या, फास्टफूड के अत्यधिक सेवन और व्यायाम से दूरी को इस बीमारी का मुख्य कारण मानते हैं। समय पर सावधानी न बरतने पर यह दृष्टिहीनता और किडनी फेलियर का कारण बन सकती है।