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सावधान! मीठी चीजों से अधिक लगाव याद्दाश्त को कर सकती है बर्बाद

मीठी चीजों से अधिक लगाव याद्दाश्त को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। दरअसल भोजन में काफी ज्यादा चीनी का इस्तेमाल करने से अल्जाइमर बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में यह चेतावनी दी...

सावधान! मीठी चीजों से अधिक लगाव याद्दाश्त को कर सकती है बर्बाद
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 26 Feb 2017 11:07 AM
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मीठी चीजों से अधिक लगाव याद्दाश्त को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। दरअसल भोजन में काफी ज्यादा चीनी का इस्तेमाल करने से अल्जाइमर बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में यह चेतावनी दी है। 

ब्रिटेन की बैथ यूनिवर्सिटी और किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने पहली बार ब्लड शुगर ग्लूकोज और अल्जाइमर के बीच एक अहम रिश्ते की पहचान की है। उन्होंने दिखाया कि अत्यधिक मात्रा में ग्लूकोज एक विशेष एंजाइम को नष्ट कर देता है। यह एंजाइम अल्जाइमर के शुरुआती चरणों से बचाव के साथ जुड़ा होता है।

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शोधकर्ताओं ने कहा, असामान्य तौर पर बढ़ा हुआ ब्लड शुगर का स्तर या हाइपरग्लाइकेमिया मधुमेह और मोटापे की जानी-पहचानी वजह है। लेकिन अल्जाइमर से इसके संबंध के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, स्वस्थ लोगों के मुकाबले मधुमेह से पीड़ित लोगों के अल्जाइमर की चपेट में आने का खतरा ज्यादा होता है। 
अध्ययन से स्पष्ट हुआ कि अल्जाइमर में असामान्य प्रोटीन दिमाग में एक किस्म की परत बना देते हैं, जिससे मस्तिष्क को लगातार नुकसान पहुंचता है। इससे सोचने-समझने की क्षमता धीरे धीरे कमजोर होती जाती है। वैज्ञानिक पहले ही यह पता लगा चुके हैं कि ग्लूकोज और उसके विघटित होने पर बनने वाले उत्पाद ग्लाइकेशन नामक प्रक्रिया के जरिए कोशिकाओं के प्रोटीनों को नष्ट कर सकते हैं। लेकिन यह पहली बार है जब ग्लूकोज और अल्जाइमर के बीच के खास संबंध को समझा जा सका। 

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शोधकर्ताओं ने अल्जाइर से पीड़ित और स्वस्थ लोगों के मस्तिष्क के नमूनों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। उन्होंने पाया कि अल्जाइमर अपने शुरुआती चरण के दौरान एमआईएफ नामक एंजाइम को नष्ट करने लगता है। यह इंसुलिन को नियमित रखने और प्रतिरक्षा तंत्र की गतिविधि को सामान्य रखने में भूमिका निभाता है।  यह मस्तिष्क की गिला कोशिकाओं को असामान्य प्रोटीन जमा करने से भी रोकता है। लेकिन एमआईएफ के खत्म होने से यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, जिससे याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है। समय के साथ यह स्थिति और बिगड़ती जाती है।  

यह अध्ययन ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

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