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टूटे दिल को जोड़ेगी पॉलीमर पट्टी, वैज्ञानिकों ने बनाई है यह पट्टी

वैज्ञानिकों ने पॉलीमर की एक नई लचीली पट्टी विकसित की है, जो दिल के क्षतिग्रस्त ऊतकों को फिर से सुचारु रूप से काम करने लायक बना सकती है। दिल के दौरे से उसके कई हिस्से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इससे दिल...

टूटे दिल को जोड़ेगी पॉलीमर पट्टी, वैज्ञानिकों ने बनाई है यह पट्टी
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 01 Dec 2016 09:28 PM
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वैज्ञानिकों ने पॉलीमर की एक नई लचीली पट्टी विकसित की है, जो दिल के क्षतिग्रस्त ऊतकों को फिर से सुचारु रूप से काम करने लायक बना सकती है। दिल के दौरे से उसके कई हिस्से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इससे दिल की धड़कन के बाधित होने का खतरा बढ़ जाता है। 

शोधकर्ताओं ने कहा, यह पट्टी दिल के क्षतिग्रस्त ऊतकों में विद्युतीय संवेग के प्रवाह को बेहतर बनाने में सक्षम है। इंपीरियल कॉलेज, लंदन की प्रोफेसर सियान हार्डिंग ने बताया, दिल का दौरा पड़ने से उस पर निशान बन जाता है। यह निशान दिल के विद्युतीय संवेगों के प्रवाह को धीमा कर देता है और उसमें बाधा पैदा कर देता है। इससे दिल की धड़कन के घातक रूप से बाधित होने की आशंका पैदा हो जाती है। 

उन्होंने कहा, इस गंभीर समस्या से निजात पाने के लिए यह पट्टी विकसित की गई है। इसे बिजली से चलाया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस पट्टी को पशुओं में कारगर पाया गया है। इससे उम्मीद है कि यह इनसानों में भी लंबे समय के लिए कारगर साबित हो सकती है। इसे दिल पर लगाने के लिए किसी तरह के टांके की जरूरत नहीं पड़ेगी।
यह पट्टी तीन अवयवों से तैयार की गई है, जिनमें एक खास परत, एक सुचालक पॉलीमर और फाइटिक एसिड शामिल हैं। इसमें लगाई गई परत को चिटोसैन कहते हैं, जो एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है। यह केंकड़े की शल्क में पाया जाता है। इसमें एक सुचालक पॉलीमर का भी इस्तेमाल किया गया है। इसमें इस्तेमाल फाइटिक एसिड पौधों में पाया जाता है।  

ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डामिया मैवाड ने कहा, पॉलीमर सूखी स्थिति में कार्य करता है, लेकिन शरीर के तरल में जाते ही कुछ पल के लिए यह अचालक बन जाता है। मैवाड ने कहा, हमारा पैच एक बड़ी कामयाबी को प्रदर्शित करता है। यह टिकाऊ है। इसे दिल पर लगाने के लिए किसी टांके की जरूरत नहीं पड़ेगी।  इस पर चमकता हुआ एक हरा लेजर  हुआ है। 

शोधकर्ताओं ने फिलहाल इसका अध्ययन चूहों पर किया है। उन्होंने पाया कि पैच लगाने के बाद चूहों के दिल की धड़कन में  काफी सुधार हुआ। यह अध्ययन ‘साइंस एडवांसेज’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

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