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1 साल में सुपरबग के 2000 केस, नहीं होता एंटीबायोटिक दवाओं का असर

सुपरबग का खतरा लगातार बढ़ रहा है। इससे संक्रमित होने वाले लोगों का उपचार कर पाना फिलहाल लगभग असंभव है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब एक साल में कार्बापेनेमेस-प्रोडक्शनिंग एंटरोबैक्टीरियासीए (सीपीई)...

1 साल में सुपरबग के 2000 केस, नहीं होता एंटीबायोटिक दवाओं का असर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 22 Apr 2017 10:02 PM
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सुपरबग का खतरा लगातार बढ़ रहा है। इससे संक्रमित होने वाले लोगों का उपचार कर पाना फिलहाल लगभग असंभव है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब एक साल में कार्बापेनेमेस-प्रोडक्शनिंग एंटरोबैक्टीरियासीए (सीपीई) नामक सुपरबग के संक्रमण के लगभग दो हजार मामले सामने आ रहे हैं। यह 12 साल पहले के मुकाबले तीन गुना अधिक है। जाहिर तौर पर यह वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। 

आंकड़े बतलाते हैं कि अकेले इंग्लैंड के 66 अस्पतालों में साल 2009 से अब तक सुपरबग सीपीई से संक्रमित 81 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि सुपरबग के कारण मौतों और संक्रमण के मामलों की वास्तविक संख्या कहीं अधिक हो सकती है, क्योंकि अधिकतर अस्पताल उन्हें दर्ज करने में विफल रहे हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि मौजूदा आंकड़े  ‘चौंकाने वाले’ हैं। उन्होंने सुझाव दिया है कि सुपरबग के मामलों की रिपोर्ट करना अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एमेरिटस वाल एडवर्ड्स-जोंस ने कहा, सुपरबग के मामलों की रिपोर्ट करना आवश्यक बनाए जाने से इस संकट की व्यापकता का आकलन करने में आसानी होगी।

तमाम एंटीबायोटिक बेअसर :
सुपरबग को ‘भयावह बैक्टीरिया’ (नाइटमेयर बैक्टीरिया) कहा जाता है। दरअसल इसका उपचार करना बेहद कठिन है। ये वे बैक्टीरिया हैं जो खुद को मौजूदा सभी एंटीबायोटिक से बचाने की क्षमता विकसित कर चुके हैं। इन पर उन एंटीबायोटिक दवाओं का भी कोई असर नहीं होता, जिन्हें अन्य सभी प्रचलित एंटीबायोटिक के नाकाम होने पर दिया जाता है। सीपीई खासकर एंटीबायोटिक प्रतिरोधी है। यह कार्बापेनेमेस एंजाइम पैदा करता है, जो दवाओं को बेअसर कर देता है। 

आधे मरीज नहीं बच पाते :
विशेषज्ञों ने कहा कि जिन मरीजों का रक्तप्रवाह इस सुपरबग से संक्रमित हो जाता है उनमें से आधे बच नहीं पाते। जो बच जाते हैं उन्हें स्वास्थ संबंधी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनके संक्रमण के लक्षण अलग अलग हो सकते हैं, मगर आम तौर पर ये छाती में न्यूमोनिया या पाचन तंत्र में ई-कोलाई के संक्रमण के लक्षणों के समान हो सकते हैं। 

भारत में संक्रमित हुई थी अमेरिकी महिला!
इस साल जनवरी में अमेरिका में सुपरबग से संक्रमित एक महिला की मौत हो गई थी। उसको कथित रूप से भारत यात्रा के दौरान कार्बापेनेमेस-रेसिस्टेंट एंटरोबैक्टीरियासीए (सीआरई) का संक्रमण हुआ था। अमेरिका में उपचार के दौरान इस महिला को तमाम एंटीबायोटिक दवाओं के जरिये ठीक करने की कोशिश की गई। पर उस पर मौजूदा 26 एंटीबायोटिक दवाओं में से कोई कारगर नहीं रहा, जिससे उसकी मौत हो गई।  

बचाव ही बेहतर उपाय
संक्रमण से बचना ही सुपरबग से सुरक्षा का फिलहाल सबसे बेहतर उपाय है
प्रतिरक्षा तंत्र का मजबूत होना किसी भी संक्रमण से निपटने के लिए जरूरी है
इसलिए जहां तक संभव हो एंटीबायोटिक का कम से कम प्रयोग करना चाहिए
किसी भी एंटीबायोटिक का प्रयोग सक्षम डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए
एंटीबायोटिक के अनियंत्रित प्रयोग ने सुपरबग को ताकतवर बनाने में भूमिका निभाई है 

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