फोटो गैलरी

Hindi Newsखतरा! प्लास्टिक बोतलों में पानी पीने से हो सकता है कैंसर

खतरा! प्लास्टिक बोतलों में पानी पीने से हो सकता है कैंसर

हम कहीं सफर पर हों या फिर बच्चे के लिए पानी का इंतजाम करना हो, अक्सर प्लास्टिक की बॉटल में ही पानी पीते हैं। यही नहीं एसी कमरों में मीटिंग्स करने वाले भी छोटी छोटी प्लास्टिक बोतलों में ही पानी पीना...

खतरा! प्लास्टिक बोतलों में पानी पीने से हो सकता है कैंसर
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 20 Oct 2016 11:12 AM
ऐप पर पढ़ें

हम कहीं सफर पर हों या फिर बच्चे के लिए पानी का इंतजाम करना हो, अक्सर प्लास्टिक की बॉटल में ही पानी पीते हैं। यही नहीं एसी कमरों में मीटिंग्स करने वाले भी छोटी छोटी प्लास्टिक बोतलों में ही पानी पीना चाहते हैं। पर जरा सावधान! अमेरिकी वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि प्लास्टिक बोतल से पानी पीना और खाना सेहत के लिए जानलेवा हो सकता है। इससे कैंसर, डायबिटीज, ऑटिज्म जैसी कई खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। यह दावा न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में किया है। 

वैज्ञानिकों के मुताबिक प्लास्टिक बोतल में इंडोक्राइन डिसरप्टिंग केमिकल (ईडीसी) जैसा रसायन होता है जो शरीर के हार्मोनल सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं। मुख्य शोधकर्ता व प्रोफेसर लियोनार्डो ट्रासेंडे के मुताबिक, प्लास्टिक के बोतल में पाया जाने वाला रसायन ईडीसी स्वास्थ्य के लिए जानलेवा है। इससे होने वाली बीमारियों से बचाव में सिर्फ अमेरिका में हर साल 2300 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होते हैं।  

जानिए प्लास्टिक में मौजूद जानलेवा रसायन के बारे में
हमारे शरीर के अंतर अंत:स्रावी ग्रंथियां होती हैं जो हमारे शरीर की सभी जरूरी क्रियाओं के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती हैं। जबकि प्लास्टिक बोतल, खाना पैक करने वाले डिब्बों, डिटरजेंट, खिलौनों और सौंदर्य प्रसाधन आदि में एक ऐसा खतरनाक रसायन पाया जाता है जो इन ग्रंथियों को निष्क्रिय करता जाता है। इस जानलेवा रसायन को बिना किसी उपकरण की मदद के देख पाना मुश्किल है। 

ईडीसी के खतरे
इससे स्नायुतंत्र संबंधी बीमारियों सहित एकाग्रता में परेशानी, सोचने-समझने की क्षमता का भी कमी आना, दिमागी असंतुलन, ऑटिज्म, कैंसर, मोटापा, डायबिटीज, पुरुषों में बांझपन और महिलाओं में गर्भाशय संबंधी बीमारियों के होने की आशंका बढ़ जाती है।  

5000 लोगों पर हुआ शोध
शोधकर्ताओं ने इस रयासन के प्रभाव को जांचने के लिए 5000 लोगों के खून और यूरिन का सैंपल लिया था। फिर इनके विश्लेषण के लिए वैज्ञानिकों ने एक कंप्यूटर मॉडल विकसित किया। इससे ये पता लग सके कि ईडीसी से किन बीमारियों का खतरा रहता है। ये आंकड़े वर्ष 2009 से 2015 के बीच अमेरिका के नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशन एक्जामिनेशन सर्वे ने जुटाए थे।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें