भाजपा-कांग्रेस के खिलाफ एकजुट हुए जनवादी संगठन
प्रदेश के जनवादी संगठनों ने रविवार को बैठक कर भाजपा-कांग्रेस के खिलाफ एकजुटता दिखाई। इस दौरान सभी ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। अंत में तय किया गया कि एक लक्ष्य, एक मुद्दे और एक सोच के साथ सभी...
प्रदेश के जनवादी संगठनों ने रविवार को बैठक कर भाजपा-कांग्रेस के खिलाफ एकजुटता दिखाई। इस दौरान सभी ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। अंत में तय किया गया कि एक लक्ष्य, एक मुद्दे और एक सोच के साथ सभी एकजुट होकर प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस का विकल्प बनेंगे।
कल्पना होटल में आयोजित बैठक में उक्रांद केंद्रीय अध्यक्ष पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश की जनता ने हमारे प्रतिनिधियों को विस तक पहुंचाया। पूर्व में हमसे गलतियां हुई हैं, लेकिन इस बार विस परिणाम कुछ भी हों, भाजपा-कांग्रेस के सहयोगी नहीं बनेंगे। वक्ताओं ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। मजबूत विकल्प नहीं होने से जनता मजबूरी में इन्हें ही चुनती है। नतीजा यह होता है कि प्रदेश में कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस सत्तासीन होती है। कहा गया कि जनवादी संगठनों के एकजुट नहीं होने से दोनों पार्टियां इसका लाभ उठा रही हैं। सत्तासीन सरकारें खनन, शराब आदि माध्यमों से निजी स्वार्थ सिद्ध कर समाज को खोखला कर रही हैं। जनवादी संगठन जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर अलग-अलग आंदोलन करते रहे हैं और जनता का समर्थन भी मिला है। मगर वह अंतत: आंदोलनकारी और क्रांतिकारी संगठन बनकर रह गए हैं। यही वजह है कि पृथक राज्य की अवधारणा के मुद्दे हाशिए पर चले गए हैं। आज भी दूर-दराज के ग्रामीण बिजली, पानी, सड़क, पलायन आदि की समस्याओं से जूझने को विवश हैं। मार्क्सवादी प्रतिनिधि सुरेंद्र सिंह सजवाण ने संगठन के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर हो रही खिलाफत का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में भी वह जनवादी संगठनों की एकजुटता के पक्षधर हैं।यहां उक्रांद के काशी सिंह ऐरी, नवीन लाल साह, प्रकाश करायत, श्याम नारायण, गोविंद नेगी, असीम बख्श, भाकपा माले के पुरुषोत्तम, राजेंद्र ओली, प्रभात ध्यानी, प्रताप साही, सीपीआई के योगेश पचौरी, चंद्रशेखर करगेती, अनिल कार्की, महेश जोशी आदि रहे।नैनीसार प्रकरण पर जनता के मुद्दे पर आंदोलन किया। राज्य सरकारी की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। जनता को अब तीसरा विकल्प चाहिए।-पीसी तिवारी, अध्यक्ष उपपा जनवादी संगठन प्रतिनिधियों के बीच मंथन के बाद कई विस सीटों पर एकराय हुई है। सभी संगठन शीर्ष प्रतिनिधियों से बातचीत करेंगे। इसके बाद संभवत: 13 जनवरी को हल्द्वानी में बैठक कर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। पुष्पेश त्रिपाठी, केंद्रीय अध्यक्ष उक्रांद