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पहाड़ों की जमीनों की भी हो चकबंदी

पहाड़ों की बिखरी खेती को चकबंदी के जरिए आबाद करने की दिशा में मुहिम चल पड़ी है। इसी क्रम में गरीब क्रांति अभियान उत्तराखंड की ओर से आगामी 5 नवंबर को रानीखेत में गोष्ठी होने जा रही है। बंदोबस्ती,...

पहाड़ों की जमीनों की भी हो चकबंदी
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 01 Nov 2016 06:10 PM
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पहाड़ों की बिखरी खेती को चकबंदी के जरिए आबाद करने की दिशा में मुहिम चल पड़ी है। इसी क्रम में गरीब क्रांति अभियान उत्तराखंड की ओर से आगामी 5 नवंबर को रानीखेत में गोष्ठी होने जा रही है। बंदोबस्ती, चकबंदी अभियान में जुटे नगर निवासी केवलानंद तेवाड़ी ने कहा कि पहाड़ों में चकबंदी योजना के माध्यम से मास्टर प्लान तैयार कर वैज्ञानिक कृषि, पशुपालन, व्यवसायिक खेती किए जाने से ही गांवों की तकदीर संवर सकती है और पलायन रुक सकता है। अब तक उत्तराखंड में करीब ढाई सौ गांवों का चयन चकबंदी के लिए किया जा चुका है, लेकिन सूचना का अधिकार से स्पष्ट स्पष्ट हुआ कि अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहें हैं।

मुख्यमंत्री ने रानीखेत की ग्रामसभा झलोड़ी में राज्य का पहला मॉडल बनाने के लिए जिला प्रशासन को निर्देशित किया। जिसके बाद जिलाधिकारी ने संयुक्त मजिस्ट्रेट व तहसीलदार साथ चयनित स्थल का भ्रमण भी किया। जिलाधिकारी की ओर से तहसीलदार को भूमिधरों के साथ बैठक करके पटवारियों को इस कार्य में लगाने के भी निर्देश दिए गए हैं, लेकिन भूमिधरों की रुचि की बावजूद स्थानीय प्रशासन इस महत्वपूर्ण मुद्दे के प्रति लापरवाह बना है। चकबंदी अभियान के प्रणेता व चकबंदी विधेयक के लिए गठित सलाहकार के उपाध्यक्ष रहे पौड़ी निवासी गणेश सिंह गरीब ने भी स्थल का भ्रमण किया तथा भौगोलिक परिस्थितियों को अनुकूल पाया। तेवाड़ी ने कहा, गरीब क्रांति अभियान उत्तराखंड के बैनर तले 5 नवंबर को शिव मंदिर रानीखेत में गोष्ठी आयोजित की जाएगी। इसमें अनुभवी लोगों की मौजूदगी में बंदोबस्ती, चकबंदी पर खुलकर परिचर्चा होगी। उन्होंने सभी भूमिधरों, नवयुवकों, चकबंदी समर्थकों, जागरूक लोगों व पंचायत प्रतिनिधियों से गोष्ठी में भाग लेकर मुहिम को सफल बनाने की अपील की है।

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