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यूक्रेन में बसे एनआरआई ने बनाई हिंदी के लिए 'पाली' लिपि

जब हम व्हाट्सएप या फेसबुक पर हिंदी में अपनी बात समझाने के लिए लैटिन(अंग्रेजी) अक्षरों का प्रयोग कर अपनी बात लिखते हैं तो पढ़ते वक्त बेहतर उच्चारण नहीं हो पाता है। हिंदी पट्टी में रह रहे लोगों की इस...

यूक्रेन में बसे एनआरआई ने बनाई हिंदी के लिए 'पाली' लिपि
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 21 May 2017 07:30 PM
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जब हम व्हाट्सएप या फेसबुक पर हिंदी में अपनी बात समझाने के लिए लैटिन(अंग्रेजी) अक्षरों का प्रयोग कर अपनी बात लिखते हैं तो पढ़ते वक्त बेहतर उच्चारण नहीं हो पाता है। हिंदी पट्टी में रह रहे लोगों की इस समस्या को देखते हुए 26 वर्ष से यूक्रेन में रह रहे ओल्ड फरीदाबाद सेक्टर-19 निवासी कारोबारी नगेंद्र पाराशर ने लैटिन अक्षरों का प्रयोग कर एक नई लिपि तैयार की है। इसे उन्होंने 'पाली' लिपि यानि पाराशर लिपि नाम दिया है। जिसकी मदद से आसानी से लैटिन अक्षरों का प्रयोग कर हिंदी में लिखा जा सकता है।

यूक्रेन में लैटिन-अंग्रेजी भाषा के अक्षरों से हिंदी लिखते वक्त उच्चारण में होने वाली गड़बड़ को देखते हुए कारोबारी ने वर्ष 2003 में बेहतर उच्चारण के लिए लैटिन के 24 अक्षर और कंप्यूटर की बोर्ड के चार अक्षरों को लेकर एक नई लिपि पर काम करना शुरू कर दिया। वर्ष 2016 में उन्हें नई लिपि तैयार कर ली। अपने गोत्र के आधार पर इसका नाम पाराशर लिपि रख दिया। संक्षेप में इसे पाली नाम दिया।

खोज के लिए जानकारी साझा की

शनिवार को यूक्रेन रवाना होने से पहले पाली लिपि के जनक नगेंद्र पाराशर 'हिन्दुस्तान' कार्यालय पहुंचे और अपनी खोज के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि मौजूदा वक्त में हम लैटिन अक्षरों का प्रयोग कर हंटेरियन लिप्यंतरण के जरिए हिंदी में अपनी बात समझाने का प्रयास करते हैं। जब हम हंटेरियन पद्धति के जरिए लैटिन अक्षरों का प्रयोग कर नल लिखना चाहते हैं तो एनएएल लिखते हैं। जबकि पाली लिपि में एनएल से ही हिंदी में नल लिख जाता है, क्योंकि जिस तरह हिंदी में न के उच्चारण के वक्त अ की आवाज आती है। पाली लिपि में इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि अतिरिक्त अक्षर का सहारा लिए बिना ही नल लिख जाए।

प्रचार-प्रसार के लिए वेबसाइट बनाई

'पाली' के प्रचार-प्रसार के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटन्यूहिंदीडॉटइन वेबसाइट भी बनाई है। इस वेबसाइट पर पाली लिपि के बारे में तमाम जानकारी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि व्हाट्सएप और सोशल साइट के लिए पाली काफी मुफीद है। यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ यूक्रेन 'तारश श्विचेन को' में हिंदी सीख रहे छात्रों के बीच पाली लिपि पर एक सेमिनार कर चुके हैं। वहीं यूक्रेन में भारतीय दूतावास को भी लिपि के बारे में अवगत करवाया है।

यूक्रेन में है कृत्रिम अंग बनाने का कारोबार:

सन् 1991 में 12वीं करने के बाद अगामी पढ़ाई के लिए यूक्रेन चले गए थे। राजधानी कीव में कंप्यूटर में एमटेक करने के बाद उन्होंने वहां कृत्रिम अंग बनाने की कंपनी शुरू कर दी। उनकी कंपनी जर्मनी, अमेरिका और जापान आदि देशों को अपने कृत्रिम अंग भी निर्यात करती है।

----------केशव

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