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गर्मी में रानीखेत बीमारी की चपेट में आ रहे मोर

दुनिया के सबसे सुंदर पक्षियों में से एक देश के राष्ट्रीय पक्षी मोर की जान इन दिनों खतरे में है। चिलचिलाती गर्मी और किसानों की ओर से फसलों पर उपयोग किए जा रहे जहरीले कीटनाशक मोर की जान लेने...

गर्मी में रानीखेत बीमारी की चपेट में आ रहे मोर
Wed, 07 Jun 2017 07:00 PM
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दुनिया के सबसे सुंदर पक्षियों में से एक देश के राष्ट्रीय पक्षी मोर की जान इन दिनों खतरे में है। चिलचिलाती गर्मी और किसानों की ओर से फसलों पर उपयोग किए जा रहे जहरीले कीटनाशक मोर की जान लेने पर अमादा हैं, जिसके चलते मोर रानीखेत नामक बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। बीते पंद्रह दिन में करीब छह मोरों की जान जा चुकी है और बीते तीन दिन में करीब 10 बीमार मोर वन्य जीव जंतु अस्पताल में लाए गए हैं। बुधवार को भी गलेपुर के जंगल से दो बीमार मोर के बारे में सूचना विभाग को मिली है। चिकित्सक वीणा के मुताबिक फसल पर छिड़काव किया गया कीटनाशक लू में पक्षियों के लिए विशेषकर मोर के लिए खतरनाक हो जाता है। साथ ही मोर कीटनाशक युक्त दाना चुग लेता है, जिससे मोर में मिक्स वायरल इंफेक्शन हो जाता है, जिससे मोर के अंग काम करना बंद कर देते हैं। ऐसे में मोर की जान चली जाती है। इन दिनों जंगल में किसान बाजरे की फसल पर कीटनाशक छिड़कते हैं। बाजरे का दाना मोर बड़े चाव से चुगता है, कीटनाशक युक्त दाना चुगने से उसके पैर काम करना बंद कर देते हैं, वह बार-बार गिरता पड़ता है। विभागीय कर्मचारी उसे अस्पताल लाते हैं तो उनकी आंख में दवाई और कुछ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाई दी जाती हैं। मोर वन्य जीव है तो जंगल में कोई वैक्सीन का छिड़काव संभव नहीं है। पक्षी प्रेमियों का कहना है कि मोर तेजी से लुप्त हो रहे हैं। जो कुछ बचे हैं, वे भी बीमारी और बिजली के करंट की चपेट में आकर काल का ग्रास बनते जा रहे हैं। किसान अधिक कीटनाशक उपयोग करते हैं जिसका सीधा असर मोर पर पड़ता है। अगर यूं ही राष्ट्रीय पक्षी मरता रहा तो फिर केवल चिड़ियाघर या फिर किताबों में ही देखने को मिलेगा। भारतीय संस्कृति में मोर का महत्वपूर्ण स्थान : भारतीय संस्कृति में मोर का विशेष स्थान है। मोर राष्ट्रीय पक्षी है और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 के तहत इसे सुरक्षा प्रदान की गई है। मोर का धार्मिक महत्व है। भगवान कृष्ण के सिर पर मोर पंख लहराता है और भगवान कार्तिकेय के वाहन के रूप में मोर की पहचान है। -----------डेलचंद सागर, निरीक्षक, वन्य जीव-जंतु विभाग: इन दिनों बीमार मोर अस्पताल में आ रहे हैं। करीब दस मोर रानीखेत नामक बीमारी की चपेट में आ गए हैं। सूचना मिलने पर बीमार मोर को विभागीय कर्मचारी उठाकर लाते हैं और विभागीय अस्पताल में उनका उपचार कराया जाता है। खास बातें : मोर: करीब 30 हजारमोर की मौत 2017 में अब तक: करीब 18मोर की मौत 2016 में: करीब 32मोर की मौत 2015 में: करीब 25----------------प्रतिक्रिया चंद्रशेखर जोशी, पक्षी प्रेमी: 26 जनवरी 1963 के दिन मोर को देश का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया, लेकिन सरकारों ने इस वन्य जीव को बचाने के लिए आज तक कुछ नहीं किया। मोर को बचाने के लिए आम लोगों को जागरूक और सरकारों को संवेदनशील होना पड़ेगा। सतवीर डागर, किसान नेता: सरकार को जहरीली दवाइयों की बिक्री पर तुरंत रोक लगानी चाहिए। कुछ किसान इतना अधिक कीटनाशक उपयोग करते हैं कि मोर ही नहीं कीटनाशकयुक्त दाना खाने से मनुष्य की मौत भी हो सकती है। किसानों के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं। इलीशादीप गर्ग, कथक नृत्यांगना: कथक, उड़ीसी और भरतनाट्य जैसे शास्त्रीय नृत्य मोरनृत्य की तर्ज पर गढ़े गए हैं, इसलिए भारतीय संस्कृति में मोर का महत्वपूर्ण स्थान है। जब भी भगवान कृष्ण की रास लीला प्रस्तुत की जाती है तो मयूर नृत्य इसमें महत्वपूर्ण है।

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