बोरियत का साथ
मां चिंतित हो गई, जब बच्चे ने कहा- बहुत बोर हो रहा हूं। उन्हें लगा कि बच्चे का बोर होना खतरनाक है। वैसे वह अकेली नहीं। हम सब बोरियत से दूर भागते हैं। उससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं। हमें लगता है कि इसके...
मां चिंतित हो गई, जब बच्चे ने कहा- बहुत बोर हो रहा हूं। उन्हें लगा कि बच्चे का बोर होना खतरनाक है। वैसे वह अकेली नहीं। हम सब बोरियत से दूर भागते हैं। उससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं। हमें लगता है कि इसके नुकसान ही नुकसान हैं, जबकि ऐसा हर स्थिति में नहीं है। कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलगेरी के प्रोफेसर पीटर टूहे ने इस विषय पर एक किताब लिखी है- बोरडम- अ लाइवली हिस्ट्री। इसमें वह लिखते हैैं कि बोरियत का मतलब है कि आप अकेले होने की दिशा में बढ़ रहे हैं। ऐसे में, आप आत्मविश्लेषण करने की स्थिति में होते हैं, जो आपकी बेचैनी दूर करती है। उन्होंने आगे कहा कि बोरियत के साथ जीने वालों में वह तत्व मौजूद होता है, जो उन्हें दूसरों के लिए मसीहा बना सकता है।
बोरियत पर अध्ययन करने वाले वह अकेले नहीं। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ इस्ट अंगेलिकॉज स्कूल ऑफ एजुकेशन से जुड़ी शिक्षा विज्ञानी टेरेसा बेल्टन ने भी अपने अध्ययन में पाया कि बोरियत एक सृजनशील अवस्था है। उन्होंने ब्रिटिश कॉमेडियन और लेखिका मीरा सयाल का जीवन खंगाला और पाया कि उनकी रचनात्मकता में बोरियत का बड़ा योगदान है। मीरा को अपने बचपन में घंटों खिड़की पर खड़े हो खेतों को देखकर अपना समय बिताना पड़ा था। वहीं से वह बदलते मौसम को देखतीं। धीरे-धीरे उन्होंने डायरी लिखनी शुरू की और फिर पेशेवर तौर पर भी लिखने लगीं। टेरेसा बोरियत की प्रक्रिया को समझाते हुए कहती हैं कि प्रकृति कभी खालीपन महसूस नहीं करती। जब भी आप बोर होते हैं, तो भीतर से खाली होते हैं। ऐसे में, प्रकृति आपको आंतरिक तौर पर भरने की कोशिश करती है। यहां जरूरी है कि आपकी प्रेरणा सही हो। कुछ पे्ररक हो, तो आप सृजनशील हो सकते हैं। प्रेरणा न हो, तो दिशा गलत भी हो सकती है। ऐसे में, जब भी बोरियत को देखें, तो उसे लपकने की कोशिश करें, पर तब जेब में प्रेरणा हो।