धनवान कौन
ऐसा लगता है कि इस समय देश में सबसे बड़ी समस्या है, नोटों की कमी। दूसरी तरफ नोटों की जमाखोरी के किस्से भी सामने आ रहे हैं। यह जमाखोरी क्यों होती है? नोटों की गड्डियां आदमी को किस तरह का सुकून देती हैं?...
ऐसा लगता है कि इस समय देश में सबसे बड़ी समस्या है, नोटों की कमी। दूसरी तरफ नोटों की जमाखोरी के किस्से भी सामने आ रहे हैं। यह जमाखोरी क्यों होती है? नोटों की गड्डियां आदमी को किस तरह का सुकून देती हैं? जीवन में शांति, आनंद, मौन और स्वास्थ्य की कमी है। उसकी भरपायी वे पैसों से करना चाहते हैं। एस्ट्रन नाम का एक भौतिकशास्त्री था। उसने एक ऐसा यंत्र बनाया, जो मनुष्य की ऊर्जा को मापता था। उसने पाया कि आदमी जब मौन और शांत खड़ा होता है, तो उसके अंदर जो ऊर्जा है, उसकी मात्रा बढ़ जाती है। जब वह बोलता है, विचार करता है, तब ऊर्जा की मात्रा कम हो जाती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उतनी ऊर्जा रिसती है। अगर लोग बात न भी करें और चिंता व तनाव से घिरे रहें, तो भी ऊर्जा का काफी व्यय होता है। इसीलिए ध्यान और योग करने वाले मौन व शांति पर इतना जोर देते हैं।
व्यक्ति जब शांत होता है, तो वह रिसेप्टिव यानी ग्राहक होता है। स्वाभाविक तौर पर उस पर ऊर्जा ज्यादा बरसने लगती है। जब अशांत खड़ा होता है या तनाव में होता है, तब ऊर्जा कम आनी शुरू हो जाती है। मौन या शांति या आनंद से आप ज्यादा खुले हो जाते हैं। मानो खिड़कियां-दरवाजे सब खुल जाते हैं और आप खुले आकाश के नीचे आ जाते हैं। हम अस्तित्व से ले ही नहीं रहे हैं, बल्कि हम उसे दे भी रहे हैं। हमारी तरंगें निरंतर वातावरण को प्रभावित कर रही हैं। यह पूरा जीवन ही एक तरह का लेन-देन है। जिनके भीतर भरपूर सकारात्मक ऊर्जा होती है, वही वास्तविक धनी हैं। उन्हें भौतिक धन को जमा करने कोई जरूरत नहीं होती। बाकी लोग तो धन जमा करने के जुगाड़ में हैं।