दो आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बाद
एक महीने के भीतर यह दूसरा अवसर है, जब एक पाकिस्तानी आतंकवादी को मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया गया है। पांच अगस्त को तो ग्रामीणों ने नावेद को उधमपुर में पकड़ा था और पुलिस के हवाले किया। वह जम्मू...
एक महीने के भीतर यह दूसरा अवसर है, जब एक पाकिस्तानी आतंकवादी को मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया गया है। पांच अगस्त को तो ग्रामीणों ने नावेद को उधमपुर में पकड़ा था और पुलिस के हवाले किया। वह जम्मू क्षेत्र में पकड़ा गया था, जबकि 20 वर्षीय सज्जाद उत्तर कश्मीर के रफियाबाद (बारामूला) में पकड़ा गया है। वह अपना क्या नाम बताता है, उसे तत्काल स्वीकारने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं है।
यही नावेद के मामले में भी हुआ था। उसने जो नाम बताया, उसके अनुसार वह सज्जाद अहमद उर्फ अबू उबैदुल्ला उर्फ फहदुल्ला उर्फ अब्दुल्ला है। दोनों की उम्र, कहानी और उन पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया, सब कुछ एक जैसा है, जैसे किसी फिल्म का एक्शन रिप्ले हो।
नावेद ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को बताया था कि उसने अकेले घुसपैठ नहीं की थी, बल्कि उसके साथ 18 आतंकी और थे। सबका प्रशिक्षण पाक अधिकृत कश्मीर में हुआ है। यह भी खबर आई कि उसके प्रशिक्षण में हाफिज सईद के पुत्र की भूमिका थी, जबकि सज्जाद ने खुद को बलूचिस्तान के मुजफ्फरगढ़ इलाके का बताया है।
सज्जाद ने अपने साथ 27 और लोगों की घुसपैठ की सूचना दी है, यानी कुल मिलाकर ये 45 हो गए। इसमें यदि नावेद के साथ मारे गए दो तथा सज्जाद के साथ मारे गए तीन आतंकवादियों को निकाल दें, तो अब भी 38 आतंकवादी बचते हैं। अगर इनकी सूचना सच है, तो कहां हैं ये 38 आतंकवादी? यह भी हो सकता है कि हमने दो आतंकवादियों को पकड़ लिया इसलिए हमें दो घुसपैठ की जानकारी है, जबकि वास्तविक घुसपैठें इससे कहीं ज्यादा हुई हों। सज्जाद ने यह भी बताया है कि घुसपैठ के बाद वे अलग-अलग दिशाओं में चले गए। वे अंधेरा होने तक का इंतजार कर रहे थे कि सुरक्षा बलों से हत्थे चढ़ गए।
इतने आतंकी यदि घुसपैठ कर रहे हैं, और सूचना के अनुसार काफी संख्या में घुसपैठ के लिए तैयार बैठे हैं, तो यह बहुत बड़े खतरे की घंटी है। यह सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती भी है। साथ ही हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर यह प्रश्न भी खड़ा करती है कि आखिर वे घुसपैठ में इतनी बड़ी संख्या में सफल कैसे हो रहे हैं? अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि सुरक्षा बलों ने घुसपैठ की कुछ कोशिशों को विफल कर दिया है। लेकिन समस्या उनकी है, जो घुसपैठ में सफल हो गए।
यह इसलिए भी बड़ी सफलता है कि इससे सुरक्षा बलों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी मिली होंगी। मुमकिन है कि इससे घुसपैठ के पैटर्न को समझने में भी कामयाबी मिले। आगे की सफलता बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगी कि हम इन आतंकवादियों का इस्तेमाल कैसे करते हैं? पाकिस्तान को खैर इनकार करना ही था, अच्छा यह रहेगा कि हम इसे एक सुबूत के तौर पर पूरी दुनिया को दिखाएं, साथ ही बिरयानी खिलाने वाले निरर्थक घरेलू प्रचार से बचें भी।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)