फौलादी इरादे
वह अमेरिकी लेखिका एदिता मॉरिस की एक किताब पढ़ रहे थे- लव टु वियतनाम। किताब में एक जगह वह रुक गए। लिखा था-‘धुन का पक्का आदमी एक बुल्डोजर की तरह होता है। वह मार्ग में बाधा की परवाह नहीं...
वह अमेरिकी लेखिका एदिता मॉरिस की एक किताब पढ़ रहे थे- लव टु वियतनाम। किताब में एक जगह वह रुक गए। लिखा था-‘धुन का पक्का आदमी एक बुल्डोजर की तरह होता है। वह मार्ग में बाधा की परवाह नहीं करता।’ किताब का पात्र निशीना शिन्जो हिरोशिमा में हुए परमाणु बम विस्फोट का भुक्तभोगी है। अपनी खराब हालत के बावजूद वह वियतनाम में हो रहे युद्ध के पीड़ितों की मदद करना चाहता है और करता भी है। बम से उसके शरीर का एक हिस्सा झुलसा हुआ है, फिर भी वह बुल्डोजर जैसा है। दरअसल, इंसानी बुल्डोजर बनने के लिए फौलादी
इच्छाशक्ति होनी चाहिए। यह समझ होनी चाहिए कि बाधाएं इसलिए हैं कि उनकी ऐसी की तैसी की जाए।
विंस्टन चर्चिल ने भी कहा था कि सभी इंसान एक बुल्डोजर हैं, बस उन्हें मालूम होना चाहिए। वह अपनी ब्रिटिश आर्मी के एक कमांडर जनरल ट्यूडर को आदर्श मानते थे। वह उनके बारे में कहते थे- वह सिर्फ खड़े रहे और बाधाओं को आने दिया, खुद से उनको टकराने दिया और फिर उन बाधाओं को उन्होंने लकड़ी की तरह तोड़ दिया। चर्चिल ने लिखा भी है कि ‘मेरे मन में ट्यूडर की छवि एक लोहे की खूंटी की तरह है, जो बर्फ से जमे मैदान में गड़ी है और अटल है।’
यह सोचना बेवकूफी है कि आपके लिए बाधाएं नहीं बनीं। ये हैं, और अनगिनत हैं। कामयाब वही होते हैं, जो बाधाओं को सीढ़ी और जज्बे को ताकत बना लेते हैं। जो यह समझते हैं कि वह रसातल में जा चुके हैं, उन्हें भी खुश होना चाहिए कि वह और नीचे नहीं जा सकते और उनकी एकमात्र दिशा अब ऊपर की ओर है। आप हर हाल में कामयाब हो सकते हैं, बस सोच को फौलादी बनाएं।
नीरज कुमार तिवारी