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आदर्श बनाना

स्कूल में एक बच्ची से पूछा गया- तुम्हारे आदर्श कौन हैं? जवाब चौंकाने वाला था- डोरा। डोरा एक कार्टून शो डोरा द एक्सप्लोरर  की मुख्य पात्र है, जो घुमक्कड़ है और सबकी मदद करती है। बच्ची डोरा-सी ही...

आदर्श बनाना
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 19 May 2016 12:06 AM
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स्कूल में एक बच्ची से पूछा गया- तुम्हारे आदर्श कौन हैं? जवाब चौंकाने वाला था- डोरा। डोरा एक कार्टून शो डोरा द एक्सप्लोरर  की मुख्य पात्र है, जो घुमक्कड़ है और सबकी मदद करती है। बच्ची डोरा-सी ही होना चाहती है। दरअसल, ज्यादातर लोग ऐसे आदर्श चुनते हैं, जो चकाचौंध की जिंदगी जी रहे होते हैं। जैसे कोई फिल्म स्टार या खिलाड़ी आदि। यहीं पर हम चूकते हैं, क्योंकि हमारे आदर्श की कसौटी गलत होती है।

हम जिन्हें चुनते हैं, उनके काम को गहराई से नहीं देखते। महान दार्शनिक नीत्शे कहते थे कि आदर्श सही हो, तो जीवन सहज और सुंदर हो उठता है। उन्होंने कहा कि जो सहज जीवन जाने वाला और अनुशासित रहता हो, उसे आदर्श के तौर पर बेझिझक अपनाना चाहिए। नीत्शे ने सरल उपाय बताए, लेकिन अमूमन यह आसान नहीं होता है। हमारी प्राथमिकताएं अलग होती हैं। जैसा समय होता है, आदर्श भी वैसे ही होने लगते हैं। गलती यह होती है कि आदर्श को हवा-हवाई तौर पर हम चुनते हैं। उसकी हासिल चीजों को देखते हैं, उसकी मेहनत और उसने जो खो दिया है, उसे नहीं। फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने एक साक्षात्कार में बताया कि उनके जैसा बनना आसान है, बशर्ते उनकी ही तरह मेहनत की जाए। दरअसल, अक्षय ने सिर्फ एक शेफ का ही काम नहीं किया, वह ब्रोकर बने, कुंदन के गहने बेचे। हर वह काम ईमानदारी से किया, जो उन्हें अपनी जड़ें मजबूत करने में मदद करता।

आदर्श के संबंध में एक बात और याद रखनी चाहिए कि जो आदर्श है, उसे अव्यावहारिक समझने की भूल न की जाए। कई चीजों को हम यह कहकर छोड़ देते हैं कि ऐसा व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। लेकिन हम यह भूल कर जाते हैं कि जो आज हकीकत है, वह कभी आदर्श रहा होगा। तब उसे हासिल करना भी आसान नहीं रहा होगा। जिसने ठाना होगा, उसे ही यह हासिल हुआ होगा।
 


 

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