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दावे और आरोपों के बीच टूटी एक उम्मीद

कुछ  सच इतने कड़वे होते हैं कि दिल उन्हें मानने से इनकार करता रहता है। रियो ओलंपिक्स में 74 किलोग्राम वर्ग में भारत की नुमाइंदगी करने वाले नरसिंह यादव को डोपिंग का दोषी पाया गया है। उनके...

दावे और आरोपों के बीच टूटी एक उम्मीद
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 25 Jul 2016 09:38 PM
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कुछ  सच इतने कड़वे होते हैं कि दिल उन्हें मानने से इनकार करता रहता है। रियो ओलंपिक्स में 74 किलोग्राम वर्ग में भारत की नुमाइंदगी करने वाले नरसिंह यादव को डोपिंग का दोषी पाया गया है। उनके 'ए' और 'बी' दोनों सैंपल पॉजिटिव आए हैं। नरसिंह यादव इसे अपने खिलाफ हुई साजिश बता रहे हैं।

उनका दावा है कि कैंप में उनके खाने-पीने की चीजों के साथ छेड़छाड़ की गई है। भारतीय कुश्ती संघ भी उनके इस दावे को सही बता रहा है। कुश्ती संघ के अधिकारियों ने एक ऐसे वीडियो के होने की भी बात कही है, जिसमें एक शख्स को खाने में कुछ मिलावट के लिए हाल ही में पकड़ा गया था। उसके बाद पूरे कैंप के पहलवानों के लिए दूसरी बार खाना पकाया गया। ये सारी बातें शायद इतनी बड़ी व खतरनाक नहीं होतीं, अगर नरसिंह यादव साधारण स्थितियों में ओलंपिक खेलने जा रहे होते। उन्हें रियो का फाइनल टिकट लेने के लिए अदालतों के चक्कर तक काटने पड़े थे। क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में जीतकर उन्होंने इसका रास्ता तो बना लिया था, लेकिन बीजिंग और लंदन ओलंपिक्स में मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले सुशील कुमार ने अपनी दावेदारी ठोककर मुसीबत पैदा कर दी थी।

सुशील कुमार की मांग थी कि उनके रिकॉर्ड्स को देखते हुए उन्हें ट्रायल्स का मौका दिया जाए। सुशील ने खेल मंत्री, प्रधानमंत्री तक से गुहार लगाई थी। वह अदालत की शरण में भी गए, लेकिन आखिर में रियो जाने का टिकट नरसिंह यादव को ही मिला। इस पूरे घटनाक्रम को दिमाग में रखते हुए सोचिए कि अगर वाकई नरसिंह के साथ साजिश हुई है, तो यह कितना खतरनाक मामला है। इस बीच सुशील कुमार ने सोशल नेटवर्क पर अपनी पोस्ट से मामले को और तूल दे दिया है। सुशील कुमार की ताजा पोस्ट कहती है कि सम्मान कमाया जाता है, मांगने से नहीं मिलता। अब पूरा मामला नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी यानी नाडा के पास है, जिसमें फास्ट ट्रैक के आधार पर बृहस्पतिवार तक आखिरी फैसला होने की उम्मीद है।

इस पूरे मामले में कुछ चीजें नरसिंह यादव के पक्ष में जाती हैं। अव्वल तो जो ड्रग्स उन्होंने लिए, वह मांसपेशियों को बढ़ाने के काम आते हैं। जबकि आम तौर पर प्रतिस्पर्द्धा के इतने करीब आने पर पहलवान अपना वजन कम करना शुरू कर चुके होते हैं। नरसिंह के प्रैक्टिस पार्टनर में भी वही ड्रग्स मिले हैं, उन्हें किसी प्रतियोगिता में नहीं जाना था। फिर भला वह प्रतिबंधित ड्रग्स क्यों लेंगे? इसके अलावा नरसिंह यादव की साख  ऐसी है कि उन्होंने आज तक एक भी बार डोपिंग टेस्ट के लिए मना नहीं किया है। एंटी डोपिंग एजेंसी ने जब भी उन्हें टेस्ट के लिए बुलाया, वह वहां पहुंचे। ये सारी चीजें बहुत से शक पैदा करती हैं। इस बात का भी कोई आश्वासन नहीं है कि पूरा सच कभी सामने आ पाएगा। फिलहाल तो हमारा एक खिलाड़ी खेल से पहले ही बाहर हो गया है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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