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आम राजा

पंखुड़ी को जब पढ़ाने बैठता हूं, तो वह ढेर सारे सवाल पूछती है। सुबह की बात है। आम को लेकर बात चली, तो मैंने कहा- ‘फलों का राजा आम है’। पंखुड़ी ने तुरंत सवाल दागा, ‘पपीता क्यों नहीं?......

आम राजा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 01 May 2016 06:54 PM
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पंखुड़ी को जब पढ़ाने बैठता हूं, तो वह ढेर सारे सवाल पूछती है। सुबह की बात है। आम को लेकर बात चली, तो मैंने कहा- ‘फलों का राजा आम है’। पंखुड़ी ने तुरंत सवाल दागा, ‘पपीता क्यों नहीं?... पंखुड़ी को जैसे-तैसे समझाकर संतुष्ट किया कि तमाम फलों में आम सबसे स्वादिष्ट है, इसलिए वह राजा है। बाद में आम के बारे में सोचा। आखिर आम राजा क्यों कहलाता है? किसानी करते हुए आम को मैं कितना समझ सका हूं? दोपहर में बगीचे में आम के नए फलों को तेज धूप और पछिया हवा के झोंकों में अपने ही डंठल से टकराते देखा, तो एहसास हुआ कि ‘राजा’ होना आसान काम नहीं है। पेड़ में मंजर आते ही उसे पहले तेज हवा और बारिश से जूझना पड़ता है, हर साल। 25 दिन पहले की ही तो बात है। आम के छोटे फलों को ओलों से लड़ना पड़ा था।

सैकड़ों जमीन में मिल गए, और जो लड़ सके, आज पेड़ पर हैं। अब भी धूप से वे लड़ रहे हैं। प्रचंड ताप को सहने की शक्ति कोई आम से सीखे। देखने में हरा है, इसे देख आंखों को ठंडक मिलती है, पर अपने भीतर यह अंगारे छिपाए हुए है। इसकी पत्तियों में चींटियां अपने घर बना लेती हैं, तो कभी मधुमक्खियां। आम में गजब की सहन शक्ति है। इसमें सामूहिकता की कला है। प्रकृति ने इसे सबको संग लेकर चलना सिखाया है। मैं इस मौसम में जब भी आम को देखता हूं, तो लगता है कि हम लड़ने से कितना डरते हैं, जबकि आम चार-पांच महीने लगातार लड़ता रहता है हमारे लिए। राजा कोई यूं ही नहीं कहलाता, इसके लिए लड़ना पड़ता है। 
अनुभव में गिरीन्द्र नाथ झा
 

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