फोटो गैलरी

Hindi Newsछोटे-छोटे कदम

छोटे-छोटे कदम

अपने को कोसने का सिलसिला थम ही नहीं रहा था। एक काम उनके मुताबिक नहीं हुआ और उनका खुद पर से भरोसा हटने लगा। वह ऐसा महसूस कर रहे थे, मानो किसी खाई में जा गिरे हों। 'हम जब बहुत 'लो फील'...

छोटे-छोटे कदम
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 13 May 2016 09:39 PM
ऐप पर पढ़ें

अपने को कोसने का सिलसिला थम ही नहीं रहा था। एक काम उनके मुताबिक नहीं हुआ और उनका खुद पर से भरोसा हटने लगा। वह ऐसा महसूस कर रहे थे, मानो किसी खाई में जा गिरे हों।

'हम जब बहुत 'लो फील' करते हैं, तब हमें बेहद छोटे-छोटे कदमों को कामयाबियों में गिनना चाहिए।' यह मानना है डॉ. वेंडी लस्टबैडर का। वह मशहूर समाजशास्त्री हैं। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ सोशल वर्क में पढ़ाती हैैं। उनकी काफी चर्चित किताब है- लाइफ गेट्स बेटर: द अनएक्सपेक्टेड प्लेजर्स ऑफ ग्रोइंग ओल्डर।

जिंदगी उतार-चढ़ाव देखती ही रहती है। अच्छा होता है, तो फिर क्या कहने? उसकी बात ही अलग है। लेकिन कभी हम बेहद खराब महसूस करते हैं। महसूस होता है, मानो हमें किसी ने जमीन से खाई में गिरा दिया है। हम अपने को जमीन से बहुत नीचे पाते हैं। जाहिर है, तब हमें अपने को बहुत नीचे से उठाना पड़ता है। ऐसे में, छोटे-छोटे कदमों की अहमियत समझ में आती है।

एक-एक कदम ऊपर बढ़ाना आसान नहीं होता। हर कदम का मतलब होता है, हम ऊपर आ रहे हैं। इसीलिए हर एक कदम को हमें कामयाबी समझना चाहिए। यह तय है कि एक झटके में हम जमीन पर नहीं आ सकते। आना कौन नहीं चाहता, लेकिन सच तो सच है। हम अक्सर छोटे-छोटे कदमों को नकार देते हैं। उसी वजह से आगे बढ़ने के बावजूद निराश बने रहते हैं। हम जब उन छोटे से कदमों को भी अहम मानते हैं, तो हमारे मन पर जबर्दस्त फर्क पड़ता है। हर कदम हमें एक नए जोश से भर देता है। हम और जोर लगाते हैैं। वह और पास आने लगती है। धीरे-धीरे हम ऊपर आ जाते हैं। असल में, जब हम अपने को खराब हाल में पाते हैं, तो हौसला बनाए रखने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। और उसे बनाए रखने में एक-एक कदम की अपनी भूमिका होती है।
 राजीव कटारा

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें