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सुस्त लेखकों के लेट-लतीफ उपन्यास

अरुंधति राय का दूसरा उपन्यास आ रहा है। द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस नाम का यह उपन्यास उनके पिछले उपन्यास के ठीक 20 साल बाद आ रहा है। दो उपन्यासों के बीच में दो दशक का अंतराल कम नहीं होता, लेकिन...

सुस्त लेखकों के लेट-लतीफ उपन्यास
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 11 Nov 2016 10:16 PM
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अरुंधति राय का दूसरा उपन्यास आ रहा है। द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस नाम का यह उपन्यास उनके पिछले उपन्यास के ठीक 20 साल बाद आ रहा है। दो उपन्यासों के बीच में दो दशक का अंतराल कम नहीं होता, लेकिन साहित्य का इतिहास सुस्त गति से लिखने वाली वह अकेली लेखिका नहीं हैं। हाल में ही अमेरिकी लेखक जोनाथन फ्रांजन, जापानी लेखक काजुओ ईशीगुरो, डोना टार्ट और मिलान कुंदेरा के दूसरे उपन्यास क्रमश: 9, 10, 11 और 14 वर्ष के अंतराल में प्रकाशित हुए हैं। बारबारा पिम का नो फोंड रिटर्न ऑफ लव  प्रकाशित होने के 16 वर्ष बाद क्वार्टेट इन ऑटम  प्रकाशित हुआ था। साल 1922 में प्रकाशित यूलिसेस के बाद जेम्स जॉयस इतना थक गए थे कि एक वर्ष तक वह अपना दूसरा उपन्यास लिखना भी शुरू नहीं कर सके।

कुछ श्रृंखलाबद्ध उपन्यासों का भी यही हाल रहा है। जूडिथ केर का मॉग्स क्रिसमस केलामिटी  पहले भाग गुडबाय मॉग  के 13 वर्ष बाद प्रकाशित हुआ। उर्सुला ले गुइन की ‘अर्थसी’ श्रृंखला के तीसरे और चौथे भाग के प्रकाशन के बीच 18 वर्ष का अंतराल रहा। रिचर्ड एडम्स के वाटरशिप डाउन  व टेल्स फ्रॉम वाटरशिप डाउन  के बीच 25 वर्ष का अंतर था, हालांकि इस बीच उन्होंने 20 पुस्तकें और लिखीं। इसलिए अरुंधति राय का 20 वर्ष का अंतराल सर्वाधिक लंबा अंतराल नहीं कहा जा सकता। इसकी तुलना में तो टॉल्सटॉय के अन्ना केरेनिना और रिसरेक्शन के बीच का अंतराल 22 वर्ष है। उससे भी आगे मेरेलिन रॉबिन्सन को रखा जा सकता है, जिनके हाउसकीपिंग और ग्लीड के प्रकाशन के बीच 24 वर्ष का अंतर रहा।

इस बात पर अब भी लोगों में जिज्ञासा है कि जोजफ हेलर ने कैच 22 के 33 वर्ष बाद क्लोजिंग टाइम क्यों लिखा? लेकिन सुस्त लेखकों की दौड़ में इन सबसे आगे टु किल ए मॉकिंगबर्ड  की लेखिका हार्पर ली को ही रखना होगा। उनकी उत्तरकथा गो सेट वाचमेन 55 वर्ष बाद प्रकाशित हुई है।ऑप्टन सिंक्लेयर इससे भी आगे हैं, जिनके किंग कोल  के प्रकाशन के 59 वर्ष बाद द कोल वार  प्रकाशित हुआ, और वह भी उनकी मृत्यु के कई वर्षों के बाद। इनकी तुलना में हिंदी लेखक कहीं नहीं ठहरते।

वे प्राय: दो-तीन से पांच-छह वर्ष के बीच दूसरे-तीसरे उपन्यास लिखते रहे हैं। धर्मवीर भारती का गुनाहों का देवता 1949 में प्रकाशित होने के बाद सूरज का सातवां घोड़ा 1952 में प्रकाशित हुआ। मन्नू भंडारी के 1971 में प्रकाशित आपका बंटी  के बाद महाभोज 1979 में प्रकाशित हुआ। राजेंद्र यादव के 1951 में प्रकाशित प्रेत बोलते हैं के बाद उखड़े हुए लोग भले ही पांच वर्ष बाद प्रकाशित हुआ, फिर भी इस दौड़ में सबसे आगे राजेंद्र यादव ही ठहरते हैं। उनके साल 1967 में प्रकाशित मंत्र-विद्ध के बाद 2007 में यानी पूरे 40 वर्ष बाद एक था शैलेंद्र प्रकाशित हुआ। 
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
 

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