ईरान में भारत के लिए मौके
भूमंडलीय अर्थव्यवस्था से ईरान के दोबारा निर्बाध ढंग से जुड़ जाने का भारत के लिए काफी महत्व है, क्योंकि अब भारत बिना किसी अड़चन के उससे हर प्रकार का कारोबार कर सकेगा। भारत की 77 प्रतिशत ऊर्जा जरूरत...
भूमंडलीय अर्थव्यवस्था से ईरान के दोबारा निर्बाध ढंग से जुड़ जाने का भारत के लिए काफी महत्व है, क्योंकि अब भारत बिना किसी अड़चन के उससे हर प्रकार का कारोबार कर सकेगा। भारत की 77 प्रतिशत ऊर्जा जरूरत विदेशों से तेल और गैस आयात करके पूरी होती है। ईरान इन दोनों का ही बहुत बड़ा उत्पादक और निर्यातक है।
काफी समय से जिस ईरान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन के बारे में चर्चा होती रही है, अब उस परियोजना को निर्णायक ढंग से आगे बढ़ाने के लिए अनुकूल माहौल बन रहा है। अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों के चलते भारत को ईरान से तेल और गैस के आयात में भारी कटौती करनी पड़ी थी। अब वह आसानी से ईरान से तेल और गैस आयात कर सकता है।
सूचना तकनीकी, बुनियादी ढांचे और पेट्रो-रसायन के क्षेत्रों में भारत की निजी कंपनियों के लिए ईरान एक बहुत बड़ी संभावना के रूप में उभर सकता है और वह भारतीय उत्पादों के लिए एक विशाल बाजार भी बन सकता है। इस समय बहुत अच्छा मौका है कि भारतीय कंपनियां ईरान के साथ कारोबार कर सकती हैं।
लेकिन भारतीय राजनय के लिए चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सऊदी अरब, इजरायल और तुर्की ईरान के घोर विरोधी हैं। भारत के सऊदी अरब और इजरायल के साथ घनिष्ठ आर्थिक और सामरिक संबंध हैं। फिर पूरे खाड़ी क्षेत्र में भारतीय फैले हुए हैं और उनके द्वारा घर भेजे जाने वाले धन का भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्व है। इसलिए भारत को अपना हर कदम फूंक-फूंककर रखना होगा।
डायचे वेले में कुलदीप कुमार