फोटो गैलरी

Hindi Newsअतीत में घूम फिर आना

अतीत में घूम फिर आना

बॉस ने उनसे तमककर कहा। 'तुम इसीलिए आगे नहीं बढ़ पा रहे। अगर आगे जाना है, तो अपने 'नॉस्टैल्जिया' को दफन कर दो। आज में जीओ।' 'अतीत अपने आप में दिक्कत नहीं है। हम उसे कैसे लेते हैं, उससे चीजें तय...

अतीत में घूम फिर आना
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 27 Nov 2015 09:42 PM
ऐप पर पढ़ें

बॉस ने उनसे तमककर कहा। 'तुम इसीलिए आगे नहीं बढ़ पा रहे। अगर आगे जाना है, तो अपने 'नॉस्टैल्जिया' को दफन कर दो। आज में जीओ।'

'अतीत अपने आप में दिक्कत नहीं है। हम उसे कैसे लेते हैं, उससे चीजें तय होती हैं।' यह मानना है डॉ. क्रिस्टीन बैचो का। वह न्यूयॉर्क के सिराक्यूज में ला मोएन कॉलेज में प्रोफेसर हैं। उन्होंने 'नॉस्टैल्जिया  इन्वेन्टरी टेस्ट' विकसित किया है। लॉन्गिंग फॉर नॉस्टैल्जिया  उनकी  मशहूर किताब है।

हमारे अतीत में गोते लगाने से ही चीजें नहीं बिगड़तीं। आप गोता लगाते हैं, और बाहर आ जाते हैं। असल में दिक्कत तब होती है, जब हम गोता लगाकर वहीं रह जाते हैं। मान लो अतीत एक नदी है। अगर उसमें गोते लगा- लगाकर हम बाहर आते रहें, तो परेशानी की कोई वजह नहीं है। लेकिन हम गोता लगाकर वहीं रह जाएं, तो दिक्कत आएगी ही। अक्सर दिक्कतें तब आती हैं, जब हम गोता लगाकर निकल नहीं पाते। तब यह गोता हमें घुटन की ओर ले जाता है। हमारा दम घुटने लगता है। अगर हम गोता लगाकर बाहर आ जाते हैं, तो ताजगी महसूस करते हैं। और जब ज्यादा देर वहीं रह जाते हैं, तो घुटन। बस इसी का ख्याल रखना जरूरी होता है। 

दरअसल, नॉस्टैल्जिया अपने आप में कोई दिक्कत नहीं है। वह भी अच्छे-बुरे होते हैं। बुरी चीज हमें आहत करती रहती है। अच्छी चीज हमें खुश रखती है। मीठी चीज हम काफी देर तक रख सकते हैं। लेकिन कड़ुवी चीज को ज्यादा देर तक हम मुंह में नहीं रख सकते। हम जब अपने अतीत की बुरी चीजों से चिपके रह जाते हैं, तो जिंदगी जीने में दिक्कत होती है। और जब अच्छी चीजों को याद करते हैं, तो हम मन को खुश कर रहे होते हैं। ऐसे में, उस अतीत में घूम फिर आना अपने आज पर कोई बुरा असर  नहीं डालता।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें