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धन की सोच

'सुबह से रात तक खटने के बाद भी दो वक्त रोटी मिल जाए, तो हमारे लिए यही सब कुछ है। यह तो है नहीं कि बाप-दादा कुछ जमीन-जायदाद छोड़ कर गए हैं, जो औरों की तरह अपने पास भी कुछ जायदाद होगी।' यह...

धन की सोच
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 28 Jun 2016 09:46 PM
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'सुबह से रात तक खटने के बाद भी दो वक्त रोटी मिल जाए, तो हमारे लिए यही सब कुछ है। यह तो है नहीं कि बाप-दादा कुछ जमीन-जायदाद छोड़ कर गए हैं, जो औरों की तरह अपने पास भी कुछ जायदाद होगी।' यह कहानी किसी एक मजदूर की नहीं, बल्कि बहुत से लोगों की है।

मशहूर लेखक और मनोविश्लेषक डॉक्टर जोसेफ मर्फी अपनी किताब द पॉवर ऑफ सबकॉन्शस माइंड  में कहते हैं कि अगर आप अपनी आर्थिक समस्याओं और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए जूझ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपने अपने अवचेतन मन को पूरी तरह इस बात के लिए विश्वस्त नहीं किया है कि आपकी जिंदगी में न केवल प्रचुरता रहेगी, बल्कि हमेशा कुछ-न-कुछ अतिरिक्त भी रहेगा। वह कहते हैं कि इस कहानी पर कतई विश्वास मत करो कि धनवान होने के लिए सिर्फ पसीना बहाना ही एकमात्र रास्ता है। बहुत से लोग हैं, जो सप्ताह में कुछ ही घंटे काम करते हैं, लेकिन अच्छा-खासा पैसा बनाते हैं। उस काम को करो, जिससे आप प्यार करते हैं।

वह तो यह भी कहते हैं कि इस बात को हमेशा दिमाग में रखो कि 'दौलत की भावना' से दौलत और बढ़ती है। हमारा अवचेतन मन एक बैंक की तरह है। यह वही चीज बढ़ाता है, जो हम इसमें जमा करते हैं। इसलिए इसे गरीबी की बजाय हमेशा अमीरी से भरा रखो। नकारात्मक 'चेक', जैसे मेरे पास कुछ भी नहीं है, हमेशा कमी रहती है, लिखना बंद करें। सोने से पहले कम से कम पांच मिनट 'धन' शब्द को धीरे-धीरे दोहराएं। आप देखेंगे कि सचमुच आपकी जिंदगी से अभाव, गरीबी और मुश्किलें दूर हो रही हैं। हमारा अवचेतन मन किसी भी चीज को हमारे अनुरोध के अनुसार स्वीकार कर उसी के अनुरूप उत्तर देता है और वैसे ही विश्वास करने लगता है, जैसा हम सोचते हैं। धनी होने का यही फलसफा है।
भारत भूषण आर्य

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