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भय से निजात

जिससे भय लगे, उससे सभी भागते हैं, उससे बचना चाहते हैं। या फिर भय को भीतर दबाते हैं और ऊपर से दिखाते हैं कि आप बिल्कुल भयभीत नहीं। दोनों ही हालत में आप भय को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, बल्कि उससे पीठ...

भय से निजात
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 23 Apr 2017 11:43 PM
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जिससे भय लगे, उससे सभी भागते हैं, उससे बचना चाहते हैं। या फिर भय को भीतर दबाते हैं और ऊपर से दिखाते हैं कि आप बिल्कुल भयभीत नहीं। दोनों ही हालत में आप भय को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, बल्कि उससे पीठ फेर रहे हैं। विख्यात अंग्रेज लेखक मार्क ट्वेन के कथन पर गौर करें, तो भय को समझने में आपको मदद मिलेगी। उन्होंने कहा है, ‘जिससे भय लगता है, उसे करिए और भय की मृत्यु तय है।’ 

यह सुनने में बहुत अच्छा लगता है, समझ भी आता है, लेकिन भय अपनी जगह जस का तस रहता है। भय बुद्धि का हिस्सा नहीं होता। वह बसता है भाव में, शरीर में। जब भय पकड़ता है, तो शरीर कांपने लगता है, पेट में मरोड़ें होने लगती है, हमारा मुंह सूख जाता है, सांस कुछ रुकने सी लगती है। ये सारे लक्षण सिर्फ भय की कल्पना से होते हैं। अभी भय का कारण सामने नहीं आया, लेकिन लोग सोचकर ही घबरा जाते हैं। इसलिए भय से थोड़ी दूरी बनाइए और देखिए कि यह महज एक कल्पना है, हमारे मन का जाल है। 

भय को समझने में ओशो के ये सूत्र काम आएंगे। एक, भय हमेशा भविष्य में जीता है, वर्तमान में नहीं।  इसलिए भय से मुक्ति पानी हो, तो ज्यादा से ज्यादा वर्तमान में जीने की कोशिश करें। दूसरे, तनावपूर्ण शरीर में भय लहरों की तरह आता है, शरीर रिलैक्स्ड हो, तो भय नहीं आएगा। इसलिए शरीर को रिलैक्स्ड रखें। और तीसरे, भय तभी तक पकड़ता है, जब तक कोई घटना घटती नहीं। जब आप उस स्थिति में होते हैं, तब भय भाग जाता है, क्योंकि तब आप उसे जी रहे होते हैं। उस समय उसके भीतर कोई भय नहीं होता। 

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