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क्या आपको बिटक्वाइन की जरूरत है

इंटरनेट पर इस्तेमाल होने वाली आभासी मुद्रा बिटक्वाइन इन दिनों फिर चर्चा में है। यहीं पर एक सवाल- क्या अगली बार जब आप कोई ऑनलाइन खरीदारी करेंगे, तो क्या उसका भुगतान बिटक्वाइन से करेंगे? इसका ज्यादातर...

क्या आपको बिटक्वाइन की जरूरत है
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 03 May 2016 09:04 PM
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इंटरनेट पर इस्तेमाल होने वाली आभासी मुद्रा बिटक्वाइन इन दिनों फिर चर्चा में है। यहीं पर एक सवाल- क्या अगली बार जब आप कोई ऑनलाइन खरीदारी करेंगे, तो क्या उसका भुगतान बिटक्वाइन से करेंगे? इसका ज्यादातर जवाब नहीं में ही होगा। आप क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर सकते हैं, डेबिट कार्ड इस्तेमाल कर सकते हैं, किसी ऑनलाइन वैलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं, मोबाइल पेमेंट कर सकते हैं, या हो सकता है कि आप डिलिवरी के समय भुगतान वाला विकल्प अपनाएं, लेकिन यह संभावना बहुत कम है कि आप बिटक्वाइन इस्तेमाल करें। यह मामला सिर्फ भारत का नहीं है, जहां इसकी जागरूकता बहुत कम है। अमेरिका जैसे विकसित और अपेक्षाकृत ज्यादा जागरूकता वाले देशों में भी इसका इस्तेमाल कोई बहुत ज्यादा नहीं हो रहा, बावजूद इसके कि वहां ऑनलाइन कारोबार करने वाले ऐसे एक लाख से ज्यादा प्रतिष्ठान हैं, जो भुगतान के विकल्प के रूप में बिटक्वाइन को स्वीकार करते हैं। क्या इसका अर्थ यह है कि सात साल पहले शुरू हुई यह आभासी मुद्रा जितनी चर्चा में है, उतनी प्रचलन में नहीं है?

बिटक्वाइन को जब शुरू किया गया था, तो कुछ लोगों ने इसकी खामियों के तर्क दिए थे, लेकिन इसकी उपयोगिता के चलते इसकी तारीफों के पुल भी बहुत बांधे गए और संभावनाओं के कसीदे भी काफी काढ़े गए। इंटरनेट के जरिये लगातार जुड़ती जा रही दुनिया के बीच अचानक ही एक ऐसी मुद्रा आ खड़ी हुई थी, जिसके लिए दुनिया के देशों की भौगोलिक सीमाओं का न कोई अर्थ था और न उनके मुद्रा संबंधी कानूनों का। इसे ऐसी मुद्रा के रूप में पेश किया गया, जो मुद्रास्फीति की मार से हमेशा बची रहेगी। एक ऐसी मुद्रा, जिस पर भारत के रिजर्व बैंक या किसी भी देश के सेंट्रल बैंक का कोई नियंत्रण नहीं चलेगा। बेशक इसी को बिटक्वाइन की सबसे बड़ी खामी भी बताया गया।

अपने पास रखे किसी भी करंसी नोट को गौर से देखें, तो वह रिजर्व बैंक की गारंटी के साथ आता है, बिटक्वाइन में ऐसी कोई गारंटी नहीं है। भारत का रिजर्व बैंक तो बिटक्वाइन के इस्तेमाल को लेकर सचेत भी कर चुका है। लेकिन तत्काल उपयोगिता को देखते हुए शायद यह उतनी बड़ी बात भी नहीं है। बिटक्वाइन एक ऐसी मुद्रा के रूप में उपयोगी तो है ही, जिसके जरिये आप देशों की सीमाओं को भुलाकर भुगतान कर सकें। ऐसा भुगतान, जिसे कोई देश या सरकार रोक न सके। ऐसा भुगतान, जिसे आप गुमनाम रहकर या नाम बदलकर भी कर सकें। लेकिन फिर एक बार खुद से पूछिए कि आपको ऐसे भुगतान की कितनी जरूरत पड़ती है?

आम लोगों को इस तरह के भुगतान की जरूरत नहीं ही पड़ती है, इसलिए दुनिया भर के खरीदारों के बीच अब भी भुगतान के परंपरागत तरीके ही पसंद किए जा रहे हैं। नई तकनीक को तुरंत ही गले लगा लेने वाले कुछ लोगों ने इसे जरूर अपनाया, पर उनकी भी अपनी एक सीमा है। लेकिन कुछ लोग हैं, जिनके लिए बिटक्वाइन की यह उपयोगिता महत्वपूर्ण है और वे इसका जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। ये लोग हैं नशीली दवाओं के कारोबारी, हथियारों के सौदागर और कई तरह के गैर-कानूनी काम करने वाले लोग। इन काले धंधों के लिए बिटक्वाइन एक ऐसा साधन बन गया है, जो विभिन्न देशों के कानूनों से भी बचाता है और हर तरह की सुरक्षा भी देता है। खुद भारत की सुरक्षा एजेंसियां कुछ समय पहले यह कह चुकी हैं कि देश में नशे और हथियारों का कारोबार करने वाले बिटक्वाइन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

यह जरूर कहा जा सकता है कि किसी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा का गैर-कानूनी इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है, इसके लिए मुद्राओं को दोषी नहीं ठहराया जाता है। अभी तक दुनिया भर में होने वाले गैर-कानूनी कामों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल डॉलर का होता रहा है। अब भी डॉलर ही इसमें इस्तेमाल होने वाली सबसे प्रमुख मुद्रा है। बिटक्वाइन ने तो उसके एक छोटे से हिस्से पर ही कब्जा किया है। और ऐसा तो नहीं ही है कि बिटक्वाइन के चलन के बाद गैर-कानूनी कारोबार बहुत ज्यादा बढ़ गए हों। लेकिन सात साल के छोटे से अंतराल में बिटक्वाइन ने यह तो दिखाया ही कि मुद्रा कोई भी हो, काले कारनामों में लगे लोगों का उससे बरताव एक-सा ही होता है।

इस दौरान लोगों के कंप्यूटरों से बिटक्वाइन चोरी के कई मामले सामने आए हैं। बावजूद इसके कि बिटक्वाइन के लेन-देन को सुरक्षित बनाने के कई तरह के उपाय किए गए हैं। ऐसे मालवेयर भी बने हैं, जो चुपचाप धीरे-धीरे आपके कंप्यूटर से बिटक्वाइन चुराते रहते हैं। यह भी पाया गया है कि बिटक्वाइन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल या तो पोर्नोग्राफी साइट्स पर हो रहा है या फिर मनी लांड्रिंग में। इस बीच एक ऐसा वायरस भी पकड़ में आया है, जो आपके कंप्यूटर का तकरीबन अपहरण ही कर लेता है। वह दो बिटक्वाइन की फिरौती वसूलकर ही उसे रिहा करता है।

बेशक इन चीजों के लिए भी आप बिटक्वाइन को दोषी नहीं ठहरा सकते, लेकिन नए जमाने के लिए बनी ऐसी मुद्रा का कोई अर्थ नहीं है, जो अपने दौर के काले कारनामों से टकराने में खुद ही सक्षम न हो। इस सारी चीजों से तकनीकी दुनिया के वे लोग भी सदमें में हैं, जिन्होंने शुरू में बिटक्वाइन को हाथोंहाथ लिया था और उसके लिए प्रशस्तियां लिखी थीं। अब वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि बिटक्वाइन का मामला अभिनंदन ग्रंथ के लायक है या थाने में रपट लिखाने के काबिल। बिटक्वाइन को आप पसंद कर सकते हैं, नापसंद कर सकते हैं, इसे खारिज भी कर सकते हैं, मगर एक सवाल फिर भी बचा रह जाता है- क्या हमें सचमुच ऐसी आभासी मुद्रा की जरूरत है, जो दुनिया की राजनीति, उसके भूगोल और तमाम देशों की कानून व्यवस्थाओं से ऊपर हो?

इसके पक्ष और विरोध, दोनों के तर्क दिए जा सकते हैं। लेकिन किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले हमें यूरो के उदाहरण को देखना होगा। यूरोप के कई देशों ने मिलकर एक नई साझा मुद्रा की जरूरत महसूस की। यूरो जब बाजार में आया, तो इसे आधुनिक युग की सबसे आदर्श मुद्रा कहा गया। लेकिन मंदी के एक ही झोंके में यह आदर्श मुद्रा मुंह के बल गिरी, और अब कई यूरोपीय देश इससे पीछा छुड़ाने के चक्कर में हैं। मुद्राएं सिद्धांतों से नहीं बनतीं, उनकी असली परख इस बात से होती है कि वक्त के थपेड़ों को वे कितना सह पाती हैं। इसलिए आभासी मुद्रा को बनाना तो आसान है, लेकिन उसके बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती।

फिलहाल बिटक्वाइन की ताजा चर्चा इसके जनक को लेकर है। अभी तक बिटक्वाइन के जनक के रूप में जो नाम आता था, वह एक छद्म नाम था। अब उसके जनक का असली नाम पता लगाने का दावा किया जा रहा है। हालांकि बिटक्वाइन की पूरी बहस में इस जानकारी का कोई अर्थ नहीं है, लेकिन इससे यह तो पता चलता है कि गुमनाम रहने की जो गारंटी बिटक्वाइन देता है, उसे आभासी दुनिया में बहुत पक्का नहीं माना जा सकता। और हां, बिटक्वाइन के जनक का तब पता चला है, जब कुछ विशेषज्ञ उसकी मृत्यु की भविष्यवाणी कर रहे हैं। 

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