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Hindi Newsविवेक हत्याकांड : उसने पापा को मार डाला, मैं रात भर आंखें बंद किए रोता रहा...

विवेक हत्याकांड : उसने पापा को मार डाला, मैं रात भर आंखें बंद किए रोता रहा...

पांच बरस के आयुष की जिंदगी में इसे ज्यादा काली-अंधियारी रात क्या आएगी? उसने इतनी कम उम्र में जिंदगी का सबसे बड़ा सदमा झेला है। इन मासूम आंखों ने कमरे की हलकी रोशनी में पापा का कत्ल देखा है। वह पापा के...

विवेक हत्याकांड : उसने पापा को मार डाला, मैं रात भर आंखें बंद किए रोता रहा...
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 24 Apr 2017 01:00 PM
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पांच बरस के आयुष की जिंदगी में इसे ज्यादा काली-अंधियारी रात क्या आएगी? उसने इतनी कम उम्र में जिंदगी का सबसे बड़ा सदमा झेला है। इन मासूम आंखों ने कमरे की हलकी रोशनी में पापा का कत्ल देखा है। वह पापा के साथ बेड पर सोया था। उसने पूरी वारदात देखी और बाद में पुलिस को बयान की।

डबडबाई आंखों और रुंधे गले से आयुष ने बताया ‘रात मैं पापा के साथ सोया था। अचानक आवाज से मेरी नींद टूटी। देखा कि कोई पापा के सिरहाने खड़ा है। पहले उसने पापा का गला दबाया। पापा छटपटाए तो उनका मुंह दबा दिया। उनकी छाती पर बैठ गया। पापा के हाथ-पांव कुछ देर हिले फिर पापा सो गए। वह आदमी फिर खड़ा हो गया। उसका हाथ उठा और पापा के सिर पर तेजी से गिरा। फिर वैसी ही आवाज आई। पापा के गले से निकली चीख घुट कर रह गई। खून बह कर मेरे कपड़ों तक आने लगा। अंकल, पापा को बहुत चोट लग गई थी। वह बोल भी नहीं पा रहे थे। मैंने यह भी देखा कि मारने वाले के पीछे मां खड़ी थी। डर से मेरी आंखें बंद हो गईं। कुछ देर में फिर किसी के अंदर आने, पापा को उठाने की आवाजें आईं लेकिन मैंने आंखें नहीं खोलीं। मैं रात भर उसी बेड पर अकेले रोता रहा।

दुनिया के सबसे बड़े सदमे से इस मासूम की मुठभेड़ बड़ी कम उम्र में हो गई है। पापा ने दुनिया छोड़ दी, मम्मी को पुलिस ले गई। यह मासूम कुछ देर पुलिस के साथ रहा फिर बुआ के घर भेज दिया गया। शाम होते-होते उसे फिर बाबा के पास अपने घर भिजवा दिया गया। पुलिस के मुताबिक आयुष ने घर की कई बातें बताई हैं। उसने कहा, ‘अंकल, पापा मुझे बहुत प्यार करते हैं। मम्मी को भी। लेकिन कभी-कभी दोनों में लड़ाई हो जाती है। पापा जो मना करते हैं, मम्मी वही करती हैं। पापा गुस्सा हो जाते हैं। मम्मी पापा की बात क्यों नहीं मानती हैं? आयुष ने एक बार भी विवेक के लिए ‘थे नहीं कहा। हर बार उसने ‘पापा कहते हैं, पापा करते हैं ही बोला। शायद उसे अभी मरने या मार डालने का अंदाजा ही नहीं है।

वह अभी महज पांच साल का है। आयुष बड़ा होगा, बड़ी क्लासों में पहुंचेगा। वहां जब क्लास के बाकी बच्चे ‘फादर्स-डे मनाएंगे, उसकी आंखें किसी को तलाश करेंगी। 23 अप्रैल की काली रात उसे घेर लेगी। पापा के सिरहाने ईंट लेकर उठा हुआ हाथ उसकी आंखों में कौंध उठेगा। कंप्यूटर गेम और बैट-बॉल दिलाने के वायदे उसके कानों में गूंजेंगे। वह पापा को बहुत मिस करेगा। बाकी बच्चे जब ‘मदर्स-डे मनाएंगे, उसके दिल पर क्या बीतेगी?

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