ड्राइविंग लाइसेंस के रिनीवल में दोहरा झटका लगा रहा आरटीओ
ड्राइविंग लाइसेंस के रिनीवल और स्मार्ट कार्ड बनाने में गोरखपुर का आरटीओ दफ्तर आवेदकों को दोहरा झटका लगा रहा है। गलती कम्प्यूटर में डाटा फीड करने वाले उसके आपरेटरों की है। लाइसेंस हो या स्मार्ट कार्ड...
ड्राइविंग लाइसेंस के रिनीवल और स्मार्ट कार्ड बनाने में गोरखपुर का आरटीओ दफ्तर आवेदकों को दोहरा झटका लगा रहा है। गलती कम्प्यूटर में डाटा फीड करने वाले उसके आपरेटरों की है। लाइसेंस हो या स्मार्ट कार्ड आपरेटरों की गलती की वजह से उम्र, नाम या पता में कुछ भी गलत फीड हो गया तो फिर आवेदक को कम से कम दो सौ रुपए का चूना लग ही जाता है। अपने आपरेटरों की गलती को नज़रअंदाज कर आरटीओ डुप्लीकेट लाइसेंस के लिए दो सौ रुपए वसूल लेता है। इसके अलावा आवेदकों को एक हफ्ते तक अतिरिक्त भागदौड़ भी करनी पड़ती है। ऐसे ही एक आवेदक पुर्दिलपुर के पीयूष ने कागज वाले लाइंसेस को स्मार्ट कार्ड में परिर्वितत करने के लिए आरटीओ कार्यालय में आवेदन किया था। सप्ताह भर से अधिक दौड़ने के बाद शुक्रवार को स्मार्ट कार्ड लाइसेंस मिला तो उसपर उनकी उम्र 20 वर्ष बढ़ाकर दर्ज कर दी गई। 18 जनवरी 1990 की जगह उनकी जन्मतिथि 1970 अंकित थी। एआरटीओ के पास शिकायत लेकर पहुंचे तो बताया गया वह कुछ नहीं कर सकते हैं।डुप्लीकेट लाइसेंस के लिए 200 रुपए जमा करने को कहा। आवेदक की कोई दलील काम नहीं आई। लाइसेंस का रिनीवल कराने पहुंचे बिछिया के अजय कुमार को 10 दिन दौड़ने के बाद लाइसेंस मिला तो पता गलत दर्ज था। उन्हें भी 200 रुपए देकर डुप्लीकेट लाइसेंस बनवाना पड़ा। रोज आती हैं 10 से 15 शिकायतेंआरटीओ दफ्तर में रोज 100 से 150 स्मार्ट कार्ड बनते हैं और लाइसेंसों का रिनीवल होता है। आपरेटरों द्वारा गलत फीडिंग के 10 से 15 मामले रोज आते हैं। रोज हंगामे की स्थिति बनी रहती है। आरोप लगता है कि डाटा फीडिंग करने वाली फर्म के आपरेटर जानबूझ कर गलती करते हैं। इस बारे में एआरटीओ प्रशासन सूरज राम पाल ने कहा, ‘डाटा फीडिंग का काम यूपी डेस्को फर्म को दिया गया है। रोज गलत डाटा फीडिंग की शिकायतें मिलती हैं। शिकायतों के आधार पर फर्म के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुख्यालय को पत्र लिखा गया है।