फोटो गैलरी

Hindi Newsशाबाश बेटियां, अब बेटों को बराबरी हासिल करने की चुनौती

शाबाश बेटियां, अब बेटों को बराबरी हासिल करने की चुनौती

डीडीयू के हीरक जयंत वर्ष में 35 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल राम नाईक ने 65 फीसदी गोल्ड मेडलों पर कब्जा जमाने वाली बेटियों की जमकर तारीफ की। वहीं महज 35 फीसदी गोल्ड मेडल पाने...

शाबाश बेटियां, अब बेटों को बराबरी हासिल करने की चुनौती
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 25 Mar 2017 10:20 PM
ऐप पर पढ़ें

डीडीयू के हीरक जयंत वर्ष में 35 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल राम नाईक ने 65 फीसदी गोल्ड मेडलों पर कब्जा जमाने वाली बेटियों की जमकर तारीफ की। वहीं महज 35 फीसदी गोल्ड मेडल पाने बेटों को चेताया कि अब उनके लिए बराबरी हासिल करना चुनौती है। चुटकी लेते हुए कहा, कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में महिला आरक्षण की तरह आपको को भी आरक्षण की जरूरत न पड़ जाए।

दीक्षा भवन में शनिवार को आयोजित दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि देश के जाने माने पृथ्वी वैज्ञानिक डॉ. शैलेष नायक ने उपाधि पाने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे इतने सक्षम बनें कि देश भूकंप, बाढ़ और तूफान की सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम हो सके।

राज्यपाल ने कहा कि जब वह वर्ष 1954 में बीकॉम के छात्र थे तब उनकी क्लास के कुल 150 विद्यार्थियों में लड़कियों की संख्या महज चार थी। बेटियों को प्रोत्साहन देने का असर है कि आज डीडीयू ने जिन 1.15 लाख विधार्थियों को उपाधि प्रदान की है, उनमें लड़कियों की संख्या 55 फीसदी है। इनमें से विभिन्न विभागों के 52 टॉपरों को 125 गोल्ड मेडल दिए गए हैं। इनमें बेटियों की संख्या 65 फीसदी है। जाहिर है बेटियां हर मोर्चे पर खुद को साबित कर रही हैं मगर बेटों का पिछड़ते जाना ठीक नहीं है। राज्यपाल ने उपाधि पाने वाले विद्यार्थियों को भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दीक्षांत में कुलपति ने उन्हें जो शपथ दिलाई, उसे ताउम्र याद रखेंगे और आजीवन पालन करेंगे। उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए विद्यार्थियों को जीवन में सफलता के चार मंत्र दिए। हमेशा मुस्कुराते रहो, हर अच्छे काम को खुल कर सराहो, किसी भी मामले में किसी की अवमानना मत करो और जो करते हो, उसमें हमेशा और बेहतर करने की गुंजाइश ढूंढते रहो।

चुनौतियों से निपटने में मांगा योगदान

मुख्य अतिथि के तौर पर प्रख्यात पृथ्वी वैज्ञानिक डॉ. शैलेष नायक ने विद्यार्थियों से संवाद कायम करते हुए कहा कि भूकंप, बाढ़, चक्रवात, तूफान, सुनामी, भूस्खलन जैसे खतरों के प्रति सटीक भविष्यवाणी करने में अपना देश पीछे है। वैज्ञानिक बहुत काम कर रहे हैं मगर भूकंप के क्षेत्र में प्रभावी तंत्र का विकास नहीं हो सका है। देश का अच्छा नागरिक होने के नाते अब यह जिम्मेदारी आप पर भी है कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपना योगदान दें।

डीडीयू की योजनाओं का खाका खींचा

कुलपति डॉ. पृथ्वीश नाग ने डीडीयू का संक्षिप्त शैक्षणिक इतिहास प्रस्तुत किया। कुलाधिपति के सामने उन्होंने डीडीयू की भविष्य की योजनाओं का खाका भी खींचा। इनमें मुख्य हैं शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्तियां, ग्रंथालय एवं अन्य अभिलेखों के डिजिटाइजेशन, कॉलेजों की संबद्धता प्रक्रिया ऑनलाइन करने और उपाधियों व अंकपत्रों का ऑनलाइन वितरण।

दीक्षांत एक नजर में

-1.15 लाख विद्यार्थियों को मिली उपाधि

-52 मेधावियों को मिले 125 गोल्ड मेडल

- 50 गोल्ड मेडल व 75 स्मृति गोल्ड मेडल बंटे डीडीयू के

-159 शोधार्थियों को मिली डॉक्टरेट की उपाधि

- 9 गोल्ड मेडल एमएससी गणित में मृदुत्पल निलोर्मि गुप्त को मिले सर्वाधिक

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें