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सड़क हादसे में 60 फीसदी घायलों की टूटती हैं एक से अधिक हड्डियां

सड़कों पर फर्राटा भर रहे तेज रफ्तार वाहनों ने हड्डी रोग के इलाज को और जटिल बना दिया है। इन वाहनों के कारण हो रहे सड़क हादसे में 60 फीसदी से अधिक घायलों की एक से अधिक हड्डियां टूट जाती हैं। मल्टीपल...

सड़क हादसे में 60 फीसदी घायलों की टूटती हैं एक से अधिक हड्डियां
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Mar 2017 10:50 PM
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सड़कों पर फर्राटा भर रहे तेज रफ्तार वाहनों ने हड्डी रोग के इलाज को और जटिल बना दिया है। इन वाहनों के कारण हो रहे सड़क हादसे में 60 फीसदी से अधिक घायलों की एक से अधिक हड्डियां टूट जाती हैं। मल्टीपल फ्रैक्चर के कारण हड्डियों के जुड़ने की गति भी धीमी हो जाती है।

यह जानकारी लखनऊ के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष गुप्ता ने दी। वह यूपी आर्थोकॉन के उद्घाटन सत्र में मल्टीपल इंजरी पर व्याख्यान दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने बताया कि मल्टीपल इंजरी के इलाज में कॉम्पलीकेशन अधिक होता है। हादसों में जहां हड्डी टूटती है उसके आसपास की मांसपेशियां भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इनमें रक्तसंचार को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां भी होती हैं। ऐसे मामले में घायल का इलाज कई चरण में होता है। सबसे पहले बाहर कटे-फटे घाव का इलाज होता है फिर हड्डी का।

गुटखा,सिगरेट या शराब के शौकीनों की देर से जुड़ती है हड्डी

बीआरडी मेडिकल कालेज के हड्डी रोग विभाग के डॉ. अमित मिश्रा ने बताया कि सिगरेट, शराब या गुटखा का सेवन हड्डी के जुड़ने में अहम भूमिका निभाता है। जो लोग इन इनका सेवन करते हैं उन्हें हड्डी की बीमारी होने का खतरा रहाता है। सबसे खतरनाक बात यह है कि ऐसे लोगों की टूटी हड्डी भी देर से जुड़ती है। ब्रिटेन में इस पर शोध हो चुका है। इस शोध के मुताबकि सिगरेट या शराब के सेवन से शरीर के अंदर कई क्रियाएं होती हैं। इन क्रियाओं के कारण हड्डी को जोड़ने वाले ऑस्टियोराइड का निर्माण कम हो जाता है। इतना ही नहीं कैल्शियम के निर्माण पर भी असर पड़ता है। इस खतर से बचने के लिए लोगों को तत्काल इन व्यसनों को छोड़ देना चाहिए।

पांच फीसदी विफल हो जाता है कूल्हा प्रत्यारोपण

एम्स दिल्ली के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सीएस यादव ने बताया कि कूल्हा प्रत्यारोपण के विफल होने के मामले बढ़ने लगे हैं। करीब पांच से दस फीसदी कूल्हा प्रत्यारोपण विफल हो जा रहा है। इसकी कई वजहें हैं। कूल्हे के ऑपरेशन में कई बारीकियां होती है। इन बारीकियों को नजरअंदाज करने वाले डॉक्टर की लापरवाही का खामियाजा मरीज को भुगतना पड़ता है। मरीज ज्यादा कूल्हा मोड़ ले या फिर जमीन पर बैठ जाए तो भी हड्डी खिसक जाती है। कूल्हे के ऑपरेशन के दौरान मांसपेशियों के गलत टांके से भी यह विफल हो जाता है।

घुटने की चोट का हो सकता है दूरबीन से ऑपरेशन

हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. इमरान अख्तर ने बताया कि खिलाड़ियों को घुटने के दर्द से सबसे ज्यादा जूझना पड़ता है। इसकी वजह है लिगामेंट में खिचांव या उसका टूटना। खिलाड़ियों के साथ ही सड़क हादसे में घायल होने पर भी लिगामेंट टूट जाता है। इसके कारण पीड़ित व्यक्ति सीधा पैर नहीं रख पाता। उसके घुटने में लचक आती है। ऐसे मामलों में पैर की मांसपेशी को निकालकर उसे लिंगामेंट की तरह से सिल दिया जाता है। इसमें ऑपरेशन दूरबीन विधि से किया जाता है। इसे आर्थोस्कोपी सर्जरी कहते हैं। इसमें खून का रिसाव और इंफेक्शन का खतरा कम होता है।

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