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हिंडन को जीने दो हिंडन किनारे गांवों के लोग आ रहे हैं बीमारियों की चपेट में

शहरी और ग्रामीण इलाकों में पेट व त्वचा संबंधी बीमारी के मरीज अधिक सामने आ रहे, आसपास के क्षेत्रों का पानी भी हो रहा खराबगाजियाबाद। शरद पाण्डेय प्रदूषण की वजह से नाले में तब्दील हो चुकी हिंडन नदी के...

हिंडन को जीने दो  हिंडन किनारे गांवों के लोग आ रहे हैं बीमारियों की चपेट में
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 24 Apr 2017 06:50 PM
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शहरी और ग्रामीण इलाकों में पेट व त्वचा संबंधी बीमारी के मरीज अधिक सामने आ रहे, आसपास के क्षेत्रों का पानी भी हो रहा खराब

गाजियाबाद। शरद पाण्डेय

प्रदूषण की वजह से नाले में तब्दील हो चुकी हिंडन नदी के आसपास के गांवों के लोग पेट और त्वचा संबंधी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। गाजियाबाद के सरकारी अस्पतालों और मोदीनगर व मुरादनगर क्षेत्रों के स्वास्थ्य केन्द्रों में पहुंचने वाले 60 फीसदी के करीब मरीज पेट और त्वचा रोग से पीड़ित होते हैं। इसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग शामिल होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि दूषित पानी पीने की वजह से लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।

शहर के एमएमजी और संयुक्त अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों में 60 फीसदी तक पेट और त्वचा रोग से पीड़ित होते हैं। इसमें कुछ मरीज लंबे समय से पेट के रोगों से पीड़ित हैं तो कुछ हाल फिलहाल में चपेट में आए हैं।

एमएमजी अस्पताल में ओपीडी में रोजाना दो हजार के करीब मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें 1200 मरीज केवल दो विभागों जनरल और त्वचा रोग विभाग के होते हैं। 800 मरीज पेट संबंधी और 400 मरीज त्वचा रोग के होते हैं। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. एके दीक्षित ने बताया कि हिंडन नदी के प्रदूषित पानी की वजह से लोग त्वचा संबंधी रोगों की चपेट में आ रहे हैं। इसके अलावा संयुक्त अस्पताल में 1200 मरीजों में 700 पेट और त्वचा रोग विभाग में पहुंच रहे हैं। अस्पताल के जनरल फिजिशियन आरसी गुप्ता ने बताया कि हिंडन के करीब वालों क्षेत्रों से पेट संबंधी बीमारी के मरीज अधिक आ रहे हैं।

शहर के साथ मुरादनगर व मोदीनगर में अधिक मरीज

विभिन्न अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों में ज्यादातर उन इलाकों के पहुंच रहे हैं जो हिंडन किनारे हैं। इसमें प्रताप विहार, सिद्धार्थ विहार, बालाजी विहार, करहेड़ा, नंदग्राम के मरीज शामिल हैं। कुल आने वाले मरीजों में 70 फीसदी तक इन्हीं इलाकों के होते हैं, जो बीमारी की चपेट मे आ रहे हैं।

मुरादनगर के सुराना, सुठारी, चिदौड़ा, सलावा, खैराजपुर, बंदीपुर, आदि गांव हिंडन के आसपास पड़ते हैं। इन सभी गांवों की आबादी 40 हजार है। ये लोग रावली के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जाते हैं। रोजाना औसतन 100 मरीज पहुंचते हैं, जिनमें से 60 से 70 के बीच पेट और त्वचा रोग से संबंधित होते हैं। मोदीनगर के महमदपुर, मुखारी, मतोर, भम्हेड़ा, ज्ञासपुर गांवों हिंडन नदी के किनारे पड़ते हैं। अबादी करीब 25 हजार के करीब होगी। यहंा के लोग निवाड़ी और पतला के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में जाते हैं। दोनों केन्द्रों में मिलाकर 180 से 200 के करीब मरीज पहुंचते हैं। इनमें 100 के करीब पेट और त्वचा संबंधी मरीज होते हैं।

भूजल हो रहा प्रदूषित

हिंडन के किनारे लोगों ने बोरिंग करा रखे हैं, इस वजह से हिंडन के प्रदूषण का असर आसपास आसपास के भूजल तक पहुंच रहा है, जिससे पानी दूषित हो रहा है। वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. भावुक मित्तल ने बताया कि हिंडन के पानी में निकिल, मरकरी जैसे कई खतरनाक तत्व हैं, जो त्वचा के सीधे संपर्क में आने से नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे शरीर में लाल चकत्ते पड़ सकते हैं। खून के संपर्क में आने से नसें सुन्न हो सकती हैं। लंबे समय तक इस पानी के संपर्क में रहने से त्वचा का कैंसर तक होने की आशंका रहती है।

हिंडन प्रदूषण पर एक नजर

क्षेत्र आक्सीजन बीओडी सीओडी

करहेड़ा शून्य 26 107

हिंडन ब्रिज शून्य 217 113

छिजारसी शून्य 44 124

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