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जुरासिक वर्ल्ड रिव्यू: नया पार्क लेकिन आफतें और मुश्किलें पुरानी

कुछ चीजों-बातों के साथ हम बडे़ होते हैं। 1993 में निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग द्वारा शुरू की गई 'जुरासिक पार्क' फिल्म सीरीज एक ऐसी ही कहानी है, जिसे देख कर एक पूरी पीढ़ी जवान हुई है। 'जुरासिक वर्ल्ड'...

जुरासिक वर्ल्ड रिव्यू: नया पार्क लेकिन आफतें और मुश्किलें पुरानी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 13 Jun 2015 11:30 AM
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कुछ चीजों-बातों के साथ हम बडे़ होते हैं। 1993 में निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग द्वारा शुरू की गई 'जुरासिक पार्क' फिल्म सीरीज एक ऐसी ही कहानी है, जिसे देख कर एक पूरी पीढ़ी जवान हुई है। 'जुरासिक वर्ल्ड' इस सिरीज की चौथी किस्त है, जिसमें कहानी के नाम पर यूं तो कुछ खास नया नहीं है, लेकिन पृथ्वी के सबसे विशालकाय जीव डायनोसोर की वजह से यह आकर्षण आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है।

इंसान की महत्वाकांक्षाओं और विज्ञान के टकराव से पैदा हुए मानव निर्मित डायनोसोर की यह कहानी उसी पार्क से शुरू होती है, जहां इसके पहले भाग का अंत हुआ था। जुरासिक पार्क फिर से खुल गया है। इसका नया मालिक है साइमन मसरानी (इरफान), जिसने इसके पूर्व मालिक जॉन हैमंड की तरह इसे भव्य बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। पानी की तरह पैसा बहाया है, ताकि लोग यहां आकर मजे कर सकें।

पार्क की वरिष्ठ मैनेजर क्लेर (ब्रेस डालास हावर्ड) के दो भांजे जाक (निक रॉबिन्सन) और गैरी (ताय सिंपकिंस) पार्क घूमने आये हैं। उधर ऑवेन ग्रीडी (क्रिस प्रैट) नामक एक पूर्व जांबाज सिपाही पार्क में छोटे डायनोसोर्स यानी रैप्टर्स पर एक प्रयोग कर रहा है। ऑवेन का मानना है कि रैप्टर्स से दोस्ती कर उन्हें अपने कहे अनुसार चलाया जा सकता है, जबकि पार्क में काम कर रहे सुरक्षा प्रमुख  विक हॉस्किंस (विंसेंट डी'ओनोफ्रियो)  इन रैप्टर्स को सेना के काम में लाने का सपना देखता है।

और एक दिन उसकी यही मौकापरस्ती पार्क में तूफान पैदा कर देती है। पता चलता है कि अलग-अलग डीएनए से बनाया गया एक डायनोसोर अपने बाड़े से निकल गया है। ऑवेन को उसे वापस लाने की जिम्मेदारी दी जाती है, लेकिन तब तक पार्क में तबाही मच जाती है।

अपने पहले भाग से इस बार की कहानी बस थोड़ी ही अलग लगती है। वही पार्क है, उसी तरह के डायनोसोर हैं, उन्हें देखने की उसी तरह की दीवानगी है, उसी तरह के खतरे हैं, झटके हैं वगैरह वगैरह। फिर भी दो घंटे की यह फिल्म बांधे रखती है। शुरू से लेकर अंत तक बस रोमांच ही रोमांच। ये रोमांच है 3डी का। कुछ अन्य 3डी फिल्मों के मुकाबले इस फिल्म में हमला कर देने वाले या अपनी ओर लपकने वाले पल कम हैं, लेकिन एक जंगल की खूबसूरती, विशालकाय डायनोसोर की लड़ाई वगैरह 3डी में काफी अच्छे लगते हैं।

एक रूखे और जांबाज जवां मर्द के रूप में क्रिस प्रैट ठीक लगे हैं और ब्रेस डालास का काम मनोरंजन का स्तर बढ़ा देता है। इरफान की मौजूदगी मजा कम और सोचने पर ज्यादा मजबूर करती है। आखिर विश्व का आठवां सबसे अमीर आदमी इतना आम कैसे हो सकता है। फिर भी इन सब बातों से परे ये फिल्म पुरानी यादों के साथ मनोरंजन करती है। उन बच्चों को शायद ज्यादा मजा आएगा, जिन्होंने इसके पहले दो भागों की सिर्फ कहानी सुनी है। उन्हें कभी सिनेमाघर में नहीं देखा।


कलाकार: क्रिस प्रैट, ब्रेस डालास हावर्ड, इरफान, निक रॉबिन्सन, ताय सिंपकिंस, विंसेंट डी'ओनोफ्रियो
निर्देशन: कॉलिन ट्रिवॉरो
निर्माता: फ्रैंक मार्शल, पैट्रिक क्रोले
संगीत: माइल जियाशिनो
कहानी: रिक जाफा, अमांडा सिल्वर

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