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फिल्म रिव्यू : 'बदलापुर' बदले की बदली शैली

हम अलग-अलग रूप में सैकड़ों बार बदले की कहानियां देख चुके हैं। जब इस थीम पर कोई नई फिल्म आती है तो दिमाग में एक ही बात आती है कि इसमें नया क्या होगा, लेकिन ‘बदलापुर’ देखने के बाद लगता है...

फिल्म रिव्यू : 'बदलापुर' बदले की बदली शैली
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 21 Feb 2015 01:27 PM
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हम अलग-अलग रूप में सैकड़ों बार बदले की कहानियां देख चुके हैं। जब इस थीम पर कोई नई फिल्म आती है तो दिमाग में एक ही बात आती है कि इसमें नया क्या होगा, लेकिन ‘बदलापुर’ देखने के बाद लगता है कि एक आम प्लॉट को नए तरीके से पेश कर उसमें अनूठापन लाया जा सकता है। निर्देशक श्रीराम राघवन ने ‘एक हसीना थी’ और ‘जॉनी गद्दार’ के बाद एक बार फिर सिद्ध किया है कि वे सस्पेंस-थ्रिलर के मास्टर हैं।

राघव उर्फ रघु (वरुण धवन) एक खुशमिजाज नौजवान है। वह अपनी पत्नी मीशा (यामी गौतम) और बेटे रॉबिन के साथ खुशहाल जिंदगी बिता रहा है। अचानक एक दिन बैंक डकैती के घटनाक्रम में उसकी बीवी और बच्चा मारे जाते हैं। उस बैंक डकैती में शामिल दो लोगों में से एक लायक (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) पकड़ा जाता है। वह बताता है कि उनकी हत्या  उसने नहीं, बल्कि उसके पार्टनर ने की है, लेकिन लायक पुलिस को अपने पार्टनर का सही पता-ठिकाना नहीं बताता। उसे 20 साल की सजा हो जाती है। उधर रघु का मन पूरी दुनिया से उचट जाता है। वह हर पल कातिल से बदला लेने को तड़पता रहता है। इसके लिए वह इंतजार करता है। 15 सालों का लंबा इंतजार। फिर वह अपनी बीवी और बेटे के कातिल तक पहुंच ही जाता है।

श्रीराम राघवन ने बहुत ही रोमांचक तरीके से फिल्म का ताना-बाना बुना है। हालांकि इस फिल्म के पहले ही सीन में कातिल का पता चल जाता है, लेकिन आगे हालात किस तरह करवट लेंगे, विलेन क्या करेगा, हीरो क्या करेगा, यह सब जानने के लिए अंत तक इंतजार करना पडम्ता है। रह-रह के फिल्म झटके देती रहती है। दर्शक अनुमान कुछ और लगाते हैं, होता कुछ और है। फिल्म की टैगलाइन है- ‘डोंट मिस द बिगनिंग’ यानी शुरुआत को देखने से मत चूकिए। फिल्म देखने के बाद फिल्मकार का यह दावा सही लगता है। क्लाइमैक्स चौंकाने वाला तो है ही, सोचने पर मजबूर करने वाला भी है।

राघवन ने किरदारों को बहुत अच्छे तरीके से गढ़ा है, खास कर वरुण और नवाजुद्दीन के किरदार में कई परतें हैं। उन्होंने चीजों को ‘ब्लैक एंड वाइट’ की तर्ज पर पेश नहीं किया है, बल्कि अपने किरदारों को पूरी तरह से मानवीय रूप में पेश किया है। हालात और मनोस्थितियों के हिसाब से उनके व्यवहार तय होते हैं। फिल्म की स्क्रिप्ट कसी हुई है, लिहाजा दर्शकों को सीट छोडम्ने की इजाजत नहीं देती। हर सीन पर राघवन की छाप महसूस की जा सकती है। संवाद भी मजेदार हैं। वैसे स्क्रिप्ट में कुछ खामियां भी हैं। कुछ सीन गैरजरूरी लगते हैं, उनके बिना भी काम चल सकता था।

स्क्रिप्ट और ट्रीटमेंट के अलावा नवाजुद्दीन और वरुण का अभिनय भी फिल्म की हाईलाइट है। इससे पहले वरुण ने अपने छोटे-से करियर में रोमांटिक और कॉमेडी फिल्में ही की हैं। इसलिए उनकी छवि एक ऐसे अभिनेता की बन रही थी, जो हल्की-फुल्की फिल्मों के लिए मुफीद  है। ‘बदलापुर’ से उन्होंने इस धारणा को तोडम है। एक युवा प्रेमी से एक परिपक्व आदमी के रूपांतरण को उन्होंने अपने अभिनय से स्वाभाविक बनाने की कोशिश की है और बहुत हद तक सफल रहे हैं। नवाजुद्दीन के बारे में बस एक ही बात कही जा सकती है- हमेशा की तरह शानदार। लायक के किरदार की हर परत को वह अनूठा आयाम देते हैं।

नायिकाओं के करने के लिए फिल्म में कुछ खास था नहीं। यामी का रोल बहुत छोटा है। हुमा के पास भी ज्यादा सीन नहीं हैं। जितनी उनकी भूिमका है, उसमें वो ठीक रही हैं। तीनों नायिकाओं में राधिका आप्टे ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। कुल मिला कर वरुण, नवाजुद्दीन और राघवन की यह फिल्म देखने लायक है।

कलाकार: वरुण धवन, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, यामी गौतम, हुमा कुरैशी, राधिका आप्टे, दिव्या दत्ता, विनय पाठक, प्रतिमा काजमी, मुरली शर्मा, कुमुद मिश्रा

निर्देशक: श्रीराम राघवन

निर्माता: दिनेश विजन, सुनील ए. लुल्ला

बैनर: मैडोक फिल्म्स, इरोज इंटरनेशनल

संगीत: सचिन-जिगर

गीत: दिनेश विजन, प्रिया सरैया

कहानी व स्क्रीनप्ले: श्रीराम राघवन, अरिजीत बिश्वास

 

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