फिल्म रिव्यू: हरक्यूलिस
हरक्यूलिस (ड्वेन जॉनसन) को शायद कभी नहीं पता चलता कि उसकी पत्नी मेगारा (इराना शायक) को किसने मारा। उसका कत्ल हुआ था या कुछ और। उसे यह भी नहीं पता कि उसके चार बच्चों के साथ उस रात क्या हुआ था, जो अपनी...
हरक्यूलिस (ड्वेन जॉनसन) को शायद कभी नहीं पता चलता कि उसकी पत्नी मेगारा (इराना शायक) को किसने मारा। उसका कत्ल हुआ था या कुछ और। उसे यह भी नहीं पता कि उसके चार बच्चों के साथ उस रात क्या हुआ था, जो अपनी मां की ही तरह रहस्यमय हालात में मृत पाए गए थे। इस बात से कभी परदा नहीं हटता, जब तक ऐरजिनिया (रैबेका फर्गुसन), कोटेस की दूत बन कर उसके पास नहीं आती। हालांकि ऐरजिनिया को लगता है कि हरक्यूलिस ने ही अपनी पत्नी-बच्चों का कत्ल किया था।
निर्देशक ब्रेट रैटनर की 3डी अमेरिकी फिल्म ‘हरक्यूलिस’ की कहानी में कई उतार-चढ़ाव हैं, जिन्हें रैटनर ने केवल 96 मिनट में समेट डाला है। ऐसे ऐतिहासिक-पौराणिक किरदारों वाली फिल्मों को इतनी कम अवधि में समेट लेना एक मुश्किल काम माना जाता है, लेकिन रैटनर ने इसे बेहत चुस्ती के साथ कर दिखाया है। फिल्म बेहद चुस्त है। ठहराव न के बराबर है। इसकी वजह है फिल्म की कहानी, जिसे मुख्य किरदार के परिचय और उसके कारनामों को महिमा मंडित करने से काफी हद तक बचाया गया है।
हरक्यूलिस अपने चार जांबाज साथियों के साथ ऐरजिनिया के बुलावे पर थ्रेस आ पहुंचा है। कोटेस, थ्रेस का राजा (जॉन हर्ट) चाहता है कि हरक्यूलिस उसे उन हमलावरों से बचाए, जो उसके राज्य के बाहरी कबीलों को एक-एक करके नष्ट कर रहे हैं। कोटेस की सेना इस बड़े काम के लिए नाकाफी है और कमजोर भी। हरक्यूलिस की विजयगाथाएं थ्रेस के बच्चों को जुबानी याद हैं। खुद ऐरजिनिया का बेटा हरक्यूलिस का फैन है और उसी की तरह शक्तिशाली बनना चाहता है। थ्रेस के किसानों के हाथों में हथियार थाम, बेमन से ही सही हरक्यूलिस, कोटेस के कहने पर मोर्चे पर निकल पड़ता है। उसे पता है कि उसकी सेना की ट्रेनिंग अभी पूरी नहीं हुई है, पर कोटेस का उस पर दबाव उसे ये करने के लिए मजबूर कर देता है।
कई दिनों की यात्रा के बाद एक तबाह हो चुके कबीले के पास पहुंचने पर हरक्यूलिस की अगुवाई में थ्रेस की सेना पर घात लगा कर हमला होता है। हरक्यूलिस और उसके जांबाज लड़ाके इस हमले को झेल तो लेते हैं और हजारों की संख्या में आये खूंखार हमलावरों को भगा भी देते हैं, लेकिन इसमें उनकी आधी सेना मारी जाती है। अब हरक्यूलिस, कोटेस की बात नहीं सुनता और अगली लड़ाई के लिए अपने साथियों संग बाकी बची सेना को लड़ाई की ट्रेनिंग देता है। उसकी मेहनत रंग लाती है और दूसरे हमले में वे जीत जाते हैं। जीत के बाद थ्रेस पहुंचने पर हरक्यूलिस और उसके साथियों का जोर-शोर से स्वागत होता है। कोटेस का सेनापति पकड़े गए हमलावरों के साथ बुरा बर्ताव करता है तो हरक्यूलिस उसका विरोध करता है। यहीं से उसके और कोटेस के बीच तनाव पैदा होने लगता है।
कोटेस हरक्यूलिस को थ्रेस से जाने को कहता है। हरक्यूलिस को कैद कर लिया जाता है। कैद में उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी और बच्चों की हत्या एक सोची-समझी साजिश के तहत की गई थी। चौड़ा सीना, बलिष्ठ भुजाएं और आदमकद हरक्यूलिस जैसे रोल की मांग है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ से अभिनय के क्षेत्र में आये ड्वेन जॉनसन हरक्यूलिस के किरदार में जंचते हैं। ड्वेन का अभिनय शानदार नहीं है, लेकिन संतोषजनक है। एक्शन फिल्म की जान है, जिसे ड्वेन ने बड़ी मेहनत से अंजाम दिया है। इस फिल्म को देखने की एक बड़ी वजह ड्वेन और उनका एक्शन है, लेकिन फिल्म के अच्छे होने का श्रेय हरक्यूलिस के चार लड़ाकों को भी जाता है। हर लड़ाका अपनी एक खास युद्ध शैली के लिए जाना जाता है। फिर भी फिल्म कुछ जगह खटकती है, जैसे कि हरक्यूलिस के जांबाजी के 12 कारनामे, जिन्हें फिल्म के पहले भाग में नजरअंदाज किया गया लगता है।
मुख्य खलनायक के रूप में जोसेफ फिनीज के किरदार को भी ठीक से खुलने का मौका नहीं दिया गया है। तमाम शक्तियों के बावजूद वो हरक्यूलिस के सामने कमजोर लगता है। अब रही बात 3डी इफेक्ट्स की। फिल्म का करीब 60 फीसदी हिस्सा नॉन 3डी है। केवल एक्शन के सीन्स में ही 3डी का इस्तेमाल किया गया है, जिससे 3डी चश्मा एक बोझ-सा लगने लगता है। इस फिल्म में 3डी का इस्तेमाल जरूरत कम और रवायत ज्यादा लगता है। हर हफ्ते नई फिल्म के रूप में एंटरटेनमेंट की खुराक के आदी दर्शकों के लिए हरक्यूलिस फिर भी देखने लायक फिल्म बन गई है।
कलाकार: ड्वेन जॉनसन, ईयान मैकशेन, रुफुस सीवेल, जोसेफ फिनीज, पीटर मुलान, जॉन हर्ट, निर्माता: ब्रेट रैटनर, बैरी लिवाइन, बिउ लेन,
निर्देशक: ब्रेट रैटनर
बैनर: पैरामाउंट पिक्चर्स, एमजीएम पिक्चर्स
संगीत: फर्नेडो वेलक्वेज
पटकथा: रायन जे. कॉन्डल, इवान स्पिलोटोपोलस